1 तब परमेश्वर ने थे सब वचन कहे,
2 कि मै तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्यात् मिस्र देश से निकाल लाया है।।
3 तू मुझे छोड़ दूसरोंको ईश्वर करके न मानना।।
4 तू अपके लिथे कोई मूतिर् खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृय्वी पर, वा पृय्वी के जल में है।
5 तू उनको दण्डवत् न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मै तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतोंको भी पितरोंका दण्ड दिया करता हूं,
6 और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारोंपर करूणा किया करता हूं।।
7 तू अपके परमेश्वर का नाम व्यर्य न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्य ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।।
8 तू विश्रमदिन को पवित्र मानने के लिथे स्मरण रखना।
9 छ: दिन तो तू परिश्र्म करके अपना सब काम काज करना;
10 परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिथे विश्रमदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकोंके भीतर हो।
11 क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृय्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्रम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रमदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया।।
12 तू अपके पिता और अपक्की माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए।।
13 तू खून न करना।।
14 तू व्यभिचार न करना।।
15 तू चोरी न करना।।
16 तू किसी के विरूद्ध फूठी साझी न देना।।
17 तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।।
18 और सब लोग गरजने और बिजली और नरसिंगे के शब्द सुनते, और धुआं उठते हुए पर्वत को देखते रहे, और देखके, कांपकर दूर खड़े हो गए;
19 और वे मूसा से कहने लगे, तू ही हम से बातें कर, तब तो हम सुन सकेंगे; परन्तु परमेश्वर हम से बातें न करे, ऐसा न हो कि हम मर जाएं।
20 मूसा ने लोगोंसे कहा, डरो मत; क्योंकि परमेश्वर इस निमित्त आया है कि तुम्हारी पक्कीझा करे, और उसका भय तुम्हारे मन में बना रहे, कि तुम पाप न करो।
21 और वे लोग तो दूर ही खड़े रहे, परन्तु मूसा उस घोर अन्धकार के समीप गया जहां परमेश्वर या।।
22 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू इस्त्राएलियोंको मेरे थे वचन सुना, कि तुम लोगोंने तो आप ही देखा है कि मै ने तुम्हारे साय आकाश से बातें की हैं।
23 तुम मेरे साय किसी को सम्मिलित न करना, अर्यात् अपके लिथे चान्दी वा सोने से देवताओं को न गढ़ लेना।
24 मेरे लिथे मिट्टी की एक वेदी बनाना, और अपक्की भेड़-बकरियोंऔर गाय-बैलोंके होमबलि और मेलबलि को उस पर चढ़ाना; जहां जहां मैं अपके नाम का स्मरण कराऊं वहां वहां मैं आकर तुम्हें आशीष दूंगा।
25 और यदि तुम मेरे लिथे पत्यरोंकी वेदी बनाओ, तो तराशे हुए पत्यरोंसे न बनाना; क्योंकि जहां तुम ने उस पर अपना हयियार लगाया वहां तू उसे अशुद्ध कर देगा।
26 और मेरी वेदी पर सीढ़ी से कभी न चढ़ना, कहीं ऐसा न हो कि तेरा तन उस पर नंगा देख पके।।