1 फूठी बात न फैलाना। अन्यायी साझी होकर दुष्ट का साय न देना।
2 बुराई करने के लिथे न तो बहुतोंके पीछे हो लेना; और न उनके पीछे फिरके मुकद्दमें में न्याय बिगाड़ने को साझी देना;
3 और कंगाल के मुकद्दमें में उसका भी पझ न करना।।
4 यदि तेरे शत्रु का बैल वा गदहा भटकता हुआ तुझे मिले, तो उसे उसके पास अवश्य फेर ले आना।
5 फिर यदि तू अपके बैरी के गदहे को बोफ के मारे दबा हुआ देखे, तो चाहे उसको उसके स्वामी के लिथे छुड़ाने के लिथे तेरा मन न चाहे, तौभी अवश्य स्वामी का साय देकर उसे छुड़ा लेना।।
6 तेरे लोगोंमें से जो दरिद्र होंउसके मुकद्दमे में न्याय न बिगाड़ना।
7 फूठे मुकद्दमे से दूर रहना, और निर्दोष और धर्मी को घात न करना, क्योंकि मैं दुष्ट को निर्दोष न ठहराऊंगा।
8 घूस न लेना, क्योंकि घूस देखने वालोंको भी अन्धा कर देता, और धमिर्योंकी बातें पलट देता है।
9 परदेशी पर अन्धेर न करना; तुम तो परदेशी के मन की बातें जानते हो, क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे।।
10 छ: वर्ष तो अपक्की भूमि में बोना और उसकी उपज इकट्ठी करना;
11 परन्तु सातवें वर्ष में उसको पड़ती रहने देना और वैसा ही छोड़ देना, तो तेरे भाई बन्धुओं में के दरिद्र लोग उस से खाने पाएं, और जो कुछ उन से भी बचे वह बनैले पशुओं के खाने के काम में आए। और अपक्की दाख और जलपाई की बारियोंको भी ऐसे ही करना।
12 छ: दिन तक तो अपना काम काज करना, और सातवें दिन विश्रम करना; कि तेरे बैल और गदहे सुस्ताएं, और तेरी दासियोंके बेटे और परदेशी भी अपना जी ठंडा कर सकें।
13 और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है उस में सावधान रहना; और दूसरे देवताओं के नाम की चर्चा न करना, वरन वे तुम्हारे मुंह से सुनाई भी न दें।
14 प्रति वर्ष तीन बार मेरे लिथे पर्ब्ब मानना।
15 अखमीरी रोटी का पर्ब्ब मानना; उस में मेरी आज्ञा के अनुसार अबीब महीने के नियत समय पर सात दिन तक अखमीरी रोटी खाया करना, क्योंकि उसी महीने में तुम मिस्र से निकल आए। और मुझ को कोई छूछे हाथ अपना मुंह न दिखाए।
16 और जब तेरी बोई हुई खेती की पहिली उपज तैयार हो, तब कटनी का पर्ब्ब मानना। और वर्ष के अन्त में जब तू परिश्र्म के फल बटोर के ढेर लगाए, तब बटोरन का पर्ब्ब मानना।
17 प्रति वर्ष तीनोंबार तेरे सब पुरूष प्रभु यहोवा को अपना मुंह दिखाएं।।
18 मेरे बलिपशु का लोहू खमीरी रोटी के संग न चढ़ाना, और न मेरे पर्ब्ब के उत्तम बलिदान में से कुछ बिहान तक रहने देना।
19 अपक्की भूमि की पहिली उपज का पहिला भाग अपके परमेश्वर यहोवा के भवन में ले आना। बकरी का बच्चा उसकी माता के दूध में न पकाना।।
20 सुन, मैं एक दूत तेरे आगे आगे भेजता हूं जो मार्ग में तेरी रझा करेगा, और जिस स्यान को मै ने तैयार किया है उस में तुझे पहुंचाएगा।
21 उसके साम्हने सावधान रहना, और उसकी मानना, उसका विरोध न करना, क्योंकि वह तुम्हारा अपराध झमा न करेगा; इसलिथे कि उस में मेरा नाम रहता है।
22 और यदि तू सचमुच उसकी माने और जो कुछ मैं कहूं वह करे, तो मै तेरे शत्रुओं का शत्रु और तेरे द्रोहियोंका द्रोही बनूंगा।
23 इस रीति मेरा दूत तेरे आगे आगे चलकर तुझे एमोरी, हित्ती, परज्जी, कनानी, हिब्बी, और यबूसी लोगोंके यहां पहुंचाएगा, और मैं उनको सत्यनाश कर डालूंगा।
24 उनके देवताओं को दण्डवत् न करना, और न उनकी उपासना करना, और न उनके से काम करना, वरन उन मूरतोंको पूरी रीति से सत्यानाश कर डालना, और उन लोगोंकी लाटोंके टुकड़े टुकड़े कर देना।
25 और तुम अपके परमेश्वर यहोवा की उपासना करना, तब वह तेरे अन्न जल पर आशीष देगा, और तेरे बीच में से रोग दूर करेगा।
26 तेरे देश में न तो किसी का गर्भ गिरेगा और न कोई बांफ होगी; और तेरी आयु मैं पूरी करूंगा।
27 जितने लोगोंके बीच तू जाथेगा उन सभोंके मन में मै अपना भय पहिले से ऐसा समवा दूंगा कि उनको व्याकुल कर दूंगा, और मैं तुझे सब शत्रुओं की पीठ दिखाऊंगा।
28 और मैं तुझ से पहिले बर्रोंको भेजूंगा जो हिब्बी, कनानी, और हित्ती लोगोंको तेरे साम्हने से भगा के दूर कर देंगी।
29 मैं उनको तेरे आगे से एक ही वर्ष में तो न निकाल दूंगा, ऐसा न हो कि देश उजाड़ हो जाए, और बनैले पशु बढ़कर तुझे दु:ख देने लगें।
30 जब तक तू फूल फलकर देश को अपके अधिक्कारने में न कर ले तब तक मैं उन्हें तेरे आगे से योड़ा योड़ा करके निकालता रहूंगा।
31 मैं लाल समुद्र से लेकर पलिश्तियोंके समुद्र तक और जंगल से लेकर महानद तक के देश को तेरे वश में कर दूंगा; मैं उस देश के निवासिक्कों भी तेरे वश में कर दूंगा, और तू उन्हें अपके साम्हने से बरबस निकालेगा।
32 तू न तो उन से वाचा बान्धना और न उनके देवताओं से।
33 वे तेरे देश में रहने न पाएं, ऐसा न हो कि वे तुझ से मेरे विरूद्ध पाप कराएं; क्योंकि यदि तू उनके देवताओं की उपासना करे, तो यह तेरे लिथे फंदा बनेगा।।