1 और तब यहोवा ने फिर मूसा से कहा, फिरौन के पास जाकर कह, यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है, कि मेरी प्रजा के लोगोंको जाने दे जिस से वे मेरी उपासना करें।
2 और यदि उन्हें जाने न देगा तो सुन, मैं मेंढ़क भेजकर तेरे सारे देश को हानि पहुंचानेवाला हूं।
3 और नील नदी मेंढ़कोंसे भर जाएगी, और वे तेरे भवन में, और तेरे बिछौने पर, और तेरे कर्मचारियोंके घरोंमें, और तेरी प्रजा पर, वरन तेरे तन्दूरोंऔर कठौतियोंमें भी चढ़ जाएंगे।
4 और तुझ पर, और तेरी प्रजा, और तेरे कर्मचारियों, सभोंपर मेंढ़क चढ़ जाएंगे।
5 फिर यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी, कि हारून से कह दे, कि नदियों, नहरों, और फीलोंके ऊपर लाठी के साय अपना हाथ बढ़ाकर मेंढकोंको मिस्र देश पर चढ़ा ले आए।
6 तब हारून ने मिस्र के जलाशयोंके ऊपर अपना हाथ बढ़ाया; और मेंढ़कोंने मिस्र देश पर चढ़कर उसे छा लिया।
7 और जादूगर भी अपके तंत्र-मंत्रोंसे उसी प्रकार मिस्र देश पर मेंढक चढ़ा ले आए।
8 तक फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, यहोवा से बिनती करो कि वह मेंढ़कोंको मुझ से और मेरी प्रजा से दूर करे; और मैं इस्राएली लोगोंको जाने दूंगा जिस से वे यहोवा के लिथे बलिदान करें।
9 तब मूसा ने फिरौन से कहा, इतनी बात पर तो मुझ पर तेरा घमंड रहे, अब मैं तेरे, और तेरे कर्मचारियों, और प्रजा के निमित्त कब बिनती करूं, कि यहोवा तेरे पास से और तेरे घरोंमें से मेंढकोंको दूर करे, और वे केवल नील नदी में पाए जाएं ?
10 उस ने कहा, कल। उस ने कहा, तेरे वचन के अनुसार होगा, जिस से तुझे यह ज्ञात हो जाए कि हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कोई दूसरा नहीं है।
11 और मेंढक तेरे पास से, और तेरे घरोंमें से, और तेरे कर्मचारियोंऔर प्रजा के पास से दूर होकर केवल नील नदी में रहेंगे।
12 तब मूसा और हारून फिरौन के पास से निकल गए; और मूसा ने उन मेंढकोंके विषय यहोवा की दोहाई दी जो उस ने फिरौन पर भेजे थे।
13 और यहोवा ने मूसा के कहने के अनुसार किया; और मेंढक घरों, आंगनों, और खेतोंमें मर गए।
14 और लोगोंने इकट्ठे करके उनके ढेर लगा दिए, और सारा देश दुर्गन्ध से भर गया।
15 परन्तु जब फिरोन ने देखा कि अब आराम मिला है तक यहोवा के कहने के अनुसार उस ने फिर अपके मन को कठोर किया, और उनकी न सुनी।।
16 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, हारून को आज्ञा दे, कि तू अपक्की लाठी बढ़ाकर भूमि की धूल पर मार, जिस से वह मिस्र देश भर में कुटकियां बन जाएं।
17 और उन्होंने वैसा ही किया; अर्यात् हारून ने लाठी को ले हाथ बढ़ाकर भूमि की धूल पर मारा, तब मनुष्य और पशु दोनोंपर कुटकियां हो गई वरन सारे मिस्र देश में भूमि की धूल कुटकियां बन गई।
18 तब जादूगरोंने चाहा कि अपके तंत्र मंत्रोंके बल से हम भी कुटकियां ले आएं, परन्तु यह उन से न हो सका। और मनुष्योंऔर पशुओं दोनोंपर कुटकियां बनी ही रहीं।
19 तब जादूगरोंने फिरौन से कहा, यह तो परमेश्वर के हाथ का काम है। तौभी यहोवा के कहने के अनुसार फिरौन का मन कठोर होता गया, और उस ने मूसा और हारून की बात न मानी।।
20 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, बिहान को तड़के उठकर फिरौन के साम्हने खड़ा होना, वह तो जल की ओर आएगा, और उस से कहना, कि यहोवा तुझ से यह कहता है, कि मेरी प्रजा के लोगोंको जाने दे, कि वे मेरी उपासना करें।
21 यदि तू मेरी प्रजा को न जाने देगा तो सुन, मैं तुझ पर, और तेरे कर्मचारियोंऔर तेरी प्रजा पर, और तेरे घरोंमें फुंड के फुंड डांस भेजूंगा; और मिस्रियोंके घर और उनके रहने की भूमि भी डांसोंसे भर जाएगी।
22 उस दिन मैं गोशेन देश को जिस में मेरी प्रजा रहती है अलग करूंगा, और उस में डांसोंके फुंड न होंगे; जिस से तू जान ले कि पृय्वी के बीच मैं ही यहोवा हूं।
23 और मैं अपक्की प्रजा और तेरी प्रजा में अन्तर ठहराऊंगा। यह चिन्ह कल होगा।
24 और यहोवा ने वैसा ही किया, और फिरौन के भवन, और उसके कर्मचारियोंके घरोंमें, और सारे मिस्र देश में डांसोंके फुंड के फुंड भर गए, और डांसोंके मारे वह देश नाश हुआ।
25 तब फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, तुम जाकर अपके परमेश्वर के लिथे इसी देश में बलिदान करो।
26 मूसा ने कहा, ऐसा करना उचित नहीं; क्योंकि हम अपके परमेश्वर यहोवा के लिथे मिस्रियोंकी घृणित वस्तु बलिदान करेंगें; और यदि हम मिस्रियोंके देखते उनकी घृणित वस्तु बलिदान करें तो क्या वे हम को पत्यरवाह न करेंगे ?
27 हम जंगल में तीन दिन के मार्ग पर जाकर अपके परमेश्वर यहोवा के लिथे जैसा वह हम से कहेगा वैसा ही बलिदान करेंगे।
28 फिरौन ने कहा, मैं तुम को जंगल में जाने दूंगा कि तुम अपके परमेश्वर यहोवा के लिथे जंगल में बलिदान करो; केवल बहुत दूर न जाना, और मेरे लिथे बिनती करो।
29 तब मूसा ने कहा, सुन, मैं तेरे पास से बाहर जाकर यहोवा से बिनती करूंगा कि डांसोंके फुंड तेरे, और तेरे कर्मचारियों, और प्रजा के पास से कल ही दूर हों; पर फिरौन आगे को कपट करके हमें यहोवा के लिथे बलिदान करने को जाने देने के लिथे नाहीं न करे।
30 सो मूसा ने फिरौन के पास से बाहर जाकर यहोवा से बिनती की।
31 और यहोवा ने मूसा के कहे के अनुसार डांसोंके फुण्डोंको फिरौन, और उसके कर्मचारियों, और उसकी प्रजा से दूर किया; यहां तक कि एक भी न रहा।
32 तक फिरौन ने इस बार भी अपके मन को सुन्न किया, और उन लोगोंको जाने न दिया।।