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व्यवस्थाविवरण - Chapter 12

1 जो देश तुम्हारे पूर्वजोंके परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें अधिक्कारने में लेने को दिया है, उस में जब तक तुम भूमि पर जीवित रहो तब तक इन विधियोंऔर नियमोंके मानने में चौकसी करना। 
2 जिन जातियोंके तुम अधिक्कारनेी होगे उनके लोग ऊंचे ऊंचे पहाड़ोंवा टीलोंपर, वा किसी भांति के हरे वृझ के तले, जितने स्यानोंमें अपके देवताओं की उपासना करते हैं, उन सभोंको तुम पूरी रीति से नष्ट कर डालना; 
3 उनकी वेदियोंको ढा देना, उनकी लाठोंको तोड़ डालना, उनकी अशेरा नाम मूत्तिर्योंको आग में जला देना, और उनके देवताओं की खुदी हुई मूत्तिर्योंको काटकर गिरा देना, कि उस देश में से उनके नाम तक मिट जाएं। 
4 फिर जैसा वे करते हैं, तुम अपके परमेश्वर यहोवा के लिथे वैसा न करना। 
5 किन्तु जो स्यान तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे सब गोत्रोंमें से चुन लेगा, कि वहां अपना नाम बनाए रखे, उसके उसी निवासस्यान के पास जाया करना; 
6 और वहीं तुम अपके होमबलि, और मेलबलि, और दंशमांश, और उठाई हुई भेंट, और मन्नत की वस्तुएं, और स्वेच्छाबलि, और गाय-बैलोंऔर भेड़-बकरियोंके पहिलौठे ले जाया करना; 
7 और वहीं तुम अपके परमेश्वर यहोवा के साम्हने भोजन करना, और अपके अपके घराने समेत उन सब कामोंपर, जिन में तुम ने हाथ लगाया हो, और जिन पर तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की आशीष मिली हो, आनन्द करना। 
8 जैसे हम आजकल यहां जो काम जिसको भाता है वही करते हैं वैसा तुम न करना; 
9 जो विश्रमस्यान तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे भाग में देता है वहां तुम अब तक तो नहीं पहुंचे। 
10 परन्तु जब तुम यरदन पार जाकर उस देश में जिसके भागी तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें करता है बस जाओ, और वह तुम्हारे चारोंओर के सब शत्रुओं से तुम्हें विश्रम दे, 
11 और तुम निडर रहने पाओ, तब जो स्यान तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अपके नाम का निवास ठहराने के लिथे चुन ले उसी में तुम अपके होमबलि, और मेलबलि, और दशमांश, और उठाई हुईं भेंटें, और मन्नतोंकी सब उत्तम उत्तम वस्तुएं जो तुम यहोवा के लिथे संकल्प करोगे, निदान जितनी वस्तुओं की आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उन सभोंको वहीं ले जाया करना। 
12 और वहां तुम अपके अपके बेटे बेटियोंऔर दास दासियोंसहित अपके परमेश्वर यहोवा के साम्हने आनन्द करना, और जो लेवीय तुम्हारे फाटकोंमें रहे वह भी आनन्द करे, क्योंकि उसका तुम्हारे संग कोई निज भाग वा अंश न होगा। 
13 और सावधान रहना कि तू अपके होमबलियोंको हर एक स्यान पर जो देखने में आए न चढ़ाना; 
14 परन्तु जो स्यान तेरे किसी गोत्र में यहोवा चुन ले वहीं अपके होमबलियोंको चढ़ाया करना, और जिस जिस काम की आज्ञा मैं तुझ को सुनाता हूं उसको वहीं करना। 
15 परन्तु तू अपके सब फाटकोंके भीतर अपके जी की इच्छा और अपके परमेश्वर यहोवा की दी हुई आशीष के अनुसार पशु मारके खा सकेगा, शुद्व और अशुद्व मनुष्य दोनोंखा सकेंगे, जैसे कि चिकारे और हरिण का मांस। 
16 परन्तु उसका लोहू न खाना; उसे जल की नाई भूमि पर उंडेल देना। 
17 फिर अपके अन्न, वा नथे दाखमधु, वा टटके तेल का दशमांश, और अपके गाय-बैलोंवा भेड़-बकरियोंके पहिलौठे, और अपक्की मन्नतोंकी कोई वस्तु, और अपके स्वेच्छाबलि, और उठाई हुई भेंटें अपके सब फाटकोंके भीतर न खाना; 
18 उन्हें अपके परमेश्वर यहोवा के साम्हने उसी स्यान पर जिसको वह चुने अपके बेटे बेटियोंऔर दास दासियोंके, और जो लेवीय तेरे फाटकोंके भीतर रहेंगे उनके साय खाना, और तू अपके परमेश्वर यहोवा के साम्हने अपके सब कामोंपर जिन में हाथ लगाया हो आनन्द करना। 
19 और सावधान रह कि जब तक तू भूमि पर जीवित रहे तब तक लेवियोंको न छोड़ना।। 
20 जब तेरा परमेश्वर यहोवा अपके वचन के अनुसार तेरा देश बढ़ाए, और तेरा जी मांस खाना चाहे, और तू सोचने लगे, कि मैं मांस खाऊंगा, तब जो मांस तेरा जी चाहे वही खा सकेगा। 
21 जो स्यान तेरा परमेश्वर यहोवा अपना नाम बनाए रखने के लिथे चुन ले वह यदि तुझ से बहुत दूर हो, तो जो गाय-बैल भेड़-बकरी यहोवा ने तुझे दी हों, उन में से जो कुछ तेरा जी चाहे, उसे मेरी आज्ञा के अनुसार मारके अपके फाटकोंके भीतर खा सकेगा। 
22 जैसे चिकारे और हरिण का मांस खाया जाता है वैसे ही उनको भी खा सकेगा, शुद्व और अशुद्व दोनो प्रकार के मनुष्य उनका मांस खा सकेंगे। 
23 परन्तु उनका लोहू किसी भांति न खाना; क्योंकि लोहू जो है वह प्राण ही है, और तू मांस के साय प्राण कभी भी न खाना। 
24 उसको न खाना; उसे जल की नाईं भूमि पर उंडेल देना। 
25 तू उसे न खाना; इसलिथे कि वह काम करने से जो यहोवा की दृष्टि में ठीक हैं तेरा और तेरे बाद तेरे वंश का भी भला हो। 
26 परन्तु जब तू कोई वस्तु पवित्र करे, वा मन्नत माने, तो ऐसी वस्तुएं लेकर उस स्यान को जाना जिसको यहोवा चुन लेगा, 
27 और वहां अपके होमबलियोंके मांस और लोहू दोनोंको अपके परमेश्वर यहोवा की वेदी पर चढ़ाना, और मेलबलियोंका लोहू उसकी वेदी पर उंडेलकर उनका मांस खाना। 
28 इन बातोंको जिनकी आज्ञा मैं तुझे सुनाता हूं चित्त लगाकर सुन, कि जब तू वह काम करे जो तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में भला और ठीक है, तब तेरा और तेरे बाद तेरे वंश का भी सदा भला होता रहे। 
29 जब तेरा परमेश्वर यहोवा उन जातियोंको जिनका अधिक्कारनेी होने को तू जा रहा है तेरे आगे से नष्ट करे, और तू उनका अधिक्कारनेी होकर उनके देश में बस जाए, 
30 तब सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि उनके सत्यनाश होने के बाद तू भी उनकी नाई फंस जाए, अर्यात्‌ यह कहकर उनके देवताओं के सम्बन्ध में यह पूछपाछ न करना, कि उन जातियोंके लोग अपके देवताओं की उपासना किस रीति करते थे? मैं भी वैसी ही करूंगा। 
31 तू अपके परमेश्वर यहोवा से ऐसा व्यवहार न करना; क्योंकि जितने प्रकार के कामोंसे यहोवा घृणा करता है और बैर-भाव रखता है, उन सभोंको उन्होंने अपके देवताओं के लिथे किया है, यहां तक कि अपके बेटे बेटियोंको भी वे अपके देवताओं के लिथे अग्नि में डालकर जला देते हैं।। 
32 जितनी बातोंकी मैं तुम को आज्ञा देता हूं उनको चौकस होकर माना करना; और न तो कुछ उन में बढ़ाना और न उन में से कुछ घटाना।।