1 यह वह आज्ञा, और वे विधियां और नियम हैं जो तुम्हें सिखाने की तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने आज्ञा दी है, कि तुम उन्हें उस देश में मानो जिसके अधिक्कारनेी होने को पार जाने पर हो;
2 और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियोंऔर आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूं, अपके जीवन भर चलते रहें, जिस से तू बहुत दिन तक बना रहे।
3 हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिथे कि तेरा भला हो, और तेरे पितरोंके परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम बहुत हो जाओ।
4 हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है;
5 तू अपके परमेश्वर यहोवा से अपके सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साय प्रेम रखना।
6 और थे आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें;
7 और तू इन्हें अपके बालबच्चोंको समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।
8 और इन्हें अपके हाथ पर चिन्हानी करके बान्धना, और थे तेरी आंखोंके बीच टीके का काम दें।
9 और इन्हें अपके अपके घर के चौखट की बाजुओं और अपके फाटकोंपर लिखना।।
10 और जब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे उस देश में पहुंचाए जिसके विषय में उस ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब नाम, तेरे पूर्वजोंसे तुझे देने की शपय खाई, और जब वह तुझ को बड़े बड़े और अच्छे नगर, जो तू ने नहीं बनाए,
11 और अच्छे अच्छे पदार्योंसे भरे हुए घर, जो तू ने नहीं भरे, और खुदे हुए कुंए, जो तू ने नहीं खोदे, और दाख की बारियां और जलपाई के वझृ, जो तू ने नहीं लगाए, थे सब वस्तुएं जब वह दे, और तू खाके तृप्त हो,
12 तब सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि तू यहोवा को भूल जाए, जो तुझे दासत्व के घर अर्यात् मिस्र देश से निकाल लाया है।
13 अपके परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना, और उसी के नाम की शपय खाना।
14 तुम पराए देवताओं के, अर्यात् अपके चारोंओर के देशोंके लोगोंके देवताओं के पीछे न हो लेना;
15 क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा जो तेरे बीच में है वह जल उठनेवाला ईश्वर है; कहीं ऐसा न हो कि तेरे परमेश्वर यहोवा का कोप तुझ पर भड़के, और वह तुझ को पृय्वी पर से नष्ट कर डाले।।
16 तुम अपके परमेश्वर यहोवा की पक्कीझा न करना, जैसे कि तुम ने मस्सा में उसकी पक्कीझा की यी।
17 अपके परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं, चितौनियों, और विधियोंको, जो उस ने तुझ को दी हैं, सावधानी से मानना।
18 और जो काम यहोवा की दृष्टि में ठीक और सुहावना है वही किया करना, जिस से कि तेरा भला हो, और जिस उत्तम देश के विषय में यहोवा ने तेरे पूर्वजोंसे शपय खाई उस में तू प्रवेश करके उसका अधिक्कारनेी हो जाए,
19 कि तेरे सब शत्रु तेरे साम्हने से दूर कर दिए जाएं, जैसा कि यहोवा ने कहा या।।
20 फिर आगे को जब तेरा लड़का तुझ से पूछे, कि थे चितौनियां और विधि और नियम, जिनके मानने की आज्ञा हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को दी है, इनका प्रयोजन क्या है?
21 तब अपके लड़के से कहना, कि जब हम मिस्र में फिरौन के दास थे, तब यहोवा बलवन्त हाथ से हम को मिस्र में से निकाल ले आया;
22 और यहोवा ने हमारे देखते मिस्र में फिरौन और उसके सारे घराने को दु:ख देनेवाले बड़े बड़े चिन्ह और चमत्कार दिखाए;
23 और हम को वह वहां से निकाल लाया, इसलिथे कि हमें इस देश में पहुंचाकर, जिसके विषय में उस ने हमारे पूर्वजोंसे शपय खाई यी, इसको हमें सौंप दे।
24 और यहोवा ने हमें थे सब विधियां पालने की आज्ञा दी, इसलिथे कि हम अपके परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और इस रीति सदैव हमारा भला हो, और वह हम को जीवित रखे, जैसा कि आज के दिन है।
25 और यदि हम अपके परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में उसकी आज्ञा के अनुसार इन सारे नियमोंको मानने में चौकसी करें, तो वह हमारे लिथे धर्म ठहरेगा।।