1 फिर जब तू उस देश में जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तेरा निज भाग करके तुझे देता है पहुंचे, और उसका अधिक्कारनेी होकर उन में बस जाए,
2 तब जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, उसकी भूमि की भांति भांति की जो पहिली उपज तू अपके घर लाएगा, उस में से कुछ टोकरी में लेकर उस स्यान पर जाना, जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा अपके नाम का निवास करने को चुन ले।
3 और उन दिनोंके याजक के पास जाकर यह कहना, कि मैं आज तेरे परमेश्वर यहोवा के साम्हने निवेदन करता हूं, कि यहोवा ने हम लोगोंको जिस देश के देने की हमारे पूर्वजोंसे शपय खाई यी उस में मैं आ गया हूं।
4 तब याजक तेरे हाथ से वह टोकरी लेकर तेरे परमेश्वर यहोवा की वेदी के साम्हने धर दे।
5 तब तू अपके परमेश्वर यहोवा से इस प्रकार कहना, कि मेरा मूलपुरूष एक अरामी मनुष्य या जो मरने पर या; और वह अपके छोटे से परिवार समेत मिस्र को गया, और वहां परदेशी होकर रहा; और वहंा उस से एक बड़ी, और सामर्यी, और बहुत मनुष्योंसे भरी हुई जाति उत्पन्न हुई।
6 और मिस्रियोंने हम लोगोंसे बुरा बर्ताव किया, और हमें दु:ख दिया, और हम से कठिन सेवा लीं।
7 परन्तु हम ने अपके पूर्वजोंके परमेश्वर यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने हमारी सुनकर हमारे दुख-श्र्म और अन्धेर पर दृष्टि की;
8 और यहोवा ने बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से अति भयानक चिन्ह और चमत्कार दिखलाकर हम को मिस्र से निकाल लाया;
9 और हमें इस स्यान पर पहुंचाकर यह देश जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं हमें दे दिया है।
10 अब हे यहोवा, देख, जो भूमि तू ने मुझे दी है उसकी पहली उपज मैं तेरे पास ले आया हूं।
11 तब तू उसे अपके परमेश्वर यहोवा के साम्हने रखना; और यहोवा को दण्डवत करना;
12 और जितने अच्छे पदार्य तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे और तेरे घराने को दे, उनके कारण तू लेवीयोंऔर अपके मध्य में रहनेवाले परदेशियोंसहित आनन्द करना।।
13 और तू अपके परमेश्वर यहोवा से कहना, कि मैं ने तेरी सब आज्ञाओं के अनुसार पवित्र ठहराई हुई वस्तुओं को अपके घर से निकाला, और लेवीय, परदेशी, अनाय, और विधवा को दे दिया है; तेरी किसी आज्ञा को मैं ने न तो टाला है, और न भूला है।
14 उन वस्तुओं में से मैं ने शोक के समय नहीं खाया, और न उन में से कोई वस्तु अशुद्धता की दशा में घर से निकाली, और न कुछ शोक करनेवालोंको दिया; मैं ने अपके परमेश्वर यहोवा की सुन ली, मैं ने तेरी सब आज्ञाओं के अनुसार किया है।
15 तू स्वर्ग में से जो तेरा पवित्र धाम है दृष्टि करके अपक्की प्रजा इस्राएल को आशीष दे, और इस दूध और मधु की धाराओं के देश की भूमि पर आशीष दे, जिसे तू ने हमारे पूर्वजोंसे खाई हुई शपय के अनुसार हमें दिया है।
16 आज के दिन तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को इन्हीं विधियोंऔर नियमोंके मानने की आज्ञा देता है; इसलिथे अपके सारे मन और सारे प्राण से इनके मानने में चौकसी करना।
17 तू ने तो आज यहोवा को अपना परमेश्वर मानकर यह वचन दिया है, कि मैं तेरे बनाए हुए मागार्ें पर चलूंगा, और तेरी विधियों, आज्ञाओं, और नियमोंको माना करूंगा, और तेरी सुना करूंगा।
18 और यहोवा ने भी आज तुझ को अपके वचन के अनुसार अपना प्रजारूपी निज धन सम्पत्ति माना है, कि तू उसकी सब आज्ञाओं को माना करे,
19 और कि वह अपक्की बनाई हुई सब जातियोंसे अधिक प्रशंसा, नाम, और शोभा के विषय में तुझ को प्रतिष्ठित करे, और तू उसके वचन के अनुसार अपके परमेश्वर यहोवा की पवित्र प्रजा बना रहे।