1 हे इस्राएल, सुन, आज तू यरदन पार इसलिथे जानेवाला है, कि ऐसी जातियोंको जो तुझ से बड़ी और सामर्यी हैं, और ऐसे बड़े नगरोंको जिनकी श्हरपनाह आकाश से बातें करती हैं, अपके अधिक्कारने में ले ले।
2 उन में बड़े बड़े और लम्बे लम्बे लोग, अर्यात् अनाकवंशी रहते हैं, जिनका हाल तू जानता है, और उनके विषय में तू ने यह सुना है, कि अनाकवशियोंके साम्हने कौन ठहर सकता है?
3 इसलिथे आज तू यह जान ले, कि जो तेरे आगे भस्म करनेवाली आग की नाई पार जानेवाला है वह तेरा परमेश्वर यहोवा है; और वह उनका सत्यानाश करेगा, और वह उनको तेरे साम्हने दबा देगा; और तू यहोवा के वचन के अनुसार उनको उस देश से निकालकर शीघ्र ही नष्ट कर डालेगा।
4 जब तेरा परमेश्वर यहोवा उन्हें तेरे साम्हने से निकाल चुके तब यह न सोचना, कि यहोवा तेरे धर्म के कारण तुझे इस देश का अधिक्कारनेी होने को ले आया है, किन्तु उन जातियोंकी दुष्टता ही के कारण यहोवा उनको तेरे साम्हने से निकालता है।
5 तू जो उनके देश का अधिक्कारनेी होने के लिथे जा रहा है, इसका कारण तेरा धर्म वा मन की सीधाई नहीं है; तेरा परमेश्वर यहोवा जो उन जातियोंको तेरे साम्हने से निकालता है, उसका कारण उनकी दुष्टता है, और यह भी कि जो वचन उस ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब, तेरे पूर्वजोंको शपय खाकर दिया या, उसको वह पूरा करना चाहता है।
6 इसलिथे यह जान ले कि तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझे वह अच्छा देश देता है कि तू उसका अधिक्कारनेी हो, उसे वह तेरे धर्म के कारण नहीं दे रहा है; क्योंकि तू तो एक हठीली जाति है।
7 इस बात का स्मरण रख और कभी भी न भूलना, कि जंगल में तू ने किस किस रीति से अपके परमेश्वर यहोवा को क्रोधित किया; और जिस देश से तू मिस्र देश से निकला है जब तक तुम इस स्यान पर न पहंुचे तब तक तुम यहोवा से बलवा ही बलवा करते आए हो।
8 फिर होरेब के पास भी तुम ने यहोवा को क्रोधित किया, और वह क्रोधित होकर तुम्हें नष्ट करना चाहता या।
9 जब मैं उस वाचा के पत्यर की पटियाओं को जो यहोवा ने तुम से बान्धी यी लेने के लिथे पर्वत के ऊपर चढ़ गया, तब चालीस दिन और चालीस रात पर्वत ही के ऊपर रहा; और मैं ने न तो रोटी खाई न पानी पिया।
10 और यहोवा ने मुझे अपके ही हाथ की लिखी हुई पत्यर की दोनोंपटियाओं को सौंप दिया, और वे ही वचन जिन्हें यहोवा ने पर्वत के ऊपर आग के मध्य में से सभा के दिन तुम से कहे थे वे सब उन पर लिखे हुए थे।
11 और चालीस दिन और चालीस रात के बीत जाने पर यहोवा ने पत्यर की वे दो वाचा की पटियाएं मुझे दे दीं।
12 और यहोवा ने मुझ से कहा, उठ, यहां से फटपट नीचे जा; क्योकिं तेरी प्रजा के लोग जिनको तू मिस्र से निकालकर ले आया है वे बिगड़ गए हैं; जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैं ने उन्हें दी यी उसको उन्होंने फटपट छोड़ दिया है; अर्यात् उन्होंने तुरन्त अपके लिथे एक मूत्तिर् ढालकर बना ली है।
13 फिर यहोवा ने मुझ से यह भी कहा, कि मैं ने उन लोगो को देख लिया, वे हठीली जाति के लोग हैं;
14 इसलिथे अब मुझे तू मत रोक, ताकि मैं उन्हें नष्ट कर डालूं, और धरती के ऊपर से उनका नाम वा चिन्ह तक मिटा डालूं, और मैं उन से बढ़कर एक बड़ी और सामर्यी जाति तुझी से उत्पन्न करूंगा।
15 तब मैं उलटे पैर पर्वत से नीचे उतर चला, और मेरे दोनोंहाथोंमें वाचा की दोनोंपटियाएं यीं।
16 और मैं ने देखा कि तुम ने अपके परमेश्वर यहोवा के विरूद्ध महापाप किया; और अपके लिथे एक बछड़ा ढालकर बना लिया है, और तुरन्त उस मार्ग से जिस पर चलने की आज्ञा यहोवा ने तुम को दी यी उसको तुम ने तज दिया।
17 तब मैं ने उन दोनोंपटियाओं को अपके दोनो हाथोंसे लेकर फेंक दिया, और तुम्हारी आंखोंके साम्हने उनको तोड़ डाला।
18 तब तुम्हारे उस महापाप के कारण जिसे करके तुम ने यहोवा की दृष्टि में बुराई की, और उसे रीस दिलाई यी, मैं यहोवा के साम्हने मुंह के बल गिर पड़ा, और पहिले की नाई, अर्यात् चालीस दिन और चालीस रात तक, न तो रोटी खाई और न पानी पिया।
19 मैं तो यहोवा के उस कोप और जल-जलाहट से डर रहा या, क्योंकि वह तुम से अप्रसन्न होकर तुम्हें सत्यानाश करने को या। परन्तु यहोवा ने उस बार भी मेरी सुन ली।
20 और यहोवा हारून से इतना क्रोधित हुआ कि उसे भी सत्यानाश करना चाहा; परन्तु उसी समय मैं ने हारून के लिथे भी प्रार्यना की।
21 और मैं ने वह बछड़ा जिसे बनाकर तुम पापी हो गए थे लेकर, आग में डालकर फूंक दिया; और फिर उसे पीस पीसकर ऐसा चूर चूरकर डाला कि वह धूल की नाई जीर्ण हो गया; और उसकी उस राख को उस नदी में फेंक दिया जो पर्वत से निकलकर नीचे बहती यी।
22 फिर तबेरा, और मस्सा, और किब्रोतहत्तावा में भी तुम ने यहोवा को रीस दिलाई यी।
23 फिर जब यहोवा ने तुम को कोदशबर्ने से यह कहकर भेजा, कि जाकर उस देश के जिसे मैं ने तुम्हें दिया है अधिक्कारनेी हो जाओ, तब भी तुम ने अपके परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के विरूद्ध बलवा किया, और न तो उसका विश्वास किया, और न उसकी बात मानी।
24 जिस दिन से मैं तुम्हें जानता हूं उस दिन से तुम यहोवा से बलवा ही करते आए हो।
25 मैं यहोवा के साम्हने चालीस दिन और चालीस रात मुंह के बल पड़ा रहा, क्योंकि यहोवा ने कह दिया या, कि वह तुम को सत्यानाश करेगा।
26 और मैं ने यहोवा से यह प्रार्यना की, कि हे प्रभु यहोवा, अपना प्रजारूपी निज भाग, जिनको तू ने अपके महान् प्रताप से छुड़ा लिया है, और जिनको तू ने अपके बलवन्त हाथ से मिस्र से निकाल लिया है, उन्हें नष्ट न कर।
27 अपके दास इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर; और इन लोगोंकी कठोरता, और दुष्टता, और पाप पर दृष्टि न कर,
28 जिस से ऐसा न हो कि जिस देश से तू हम को निकालकर ले आया है, वहां से लोग कहने लगें, कि यहोवा उन्हें उस देश में जिसके देश का वचन उनको दिया या नहीं पहुंचा सका, और उन से बैर भी रखता या, इसी कारण उस ने उन्हें जंगल में निकालकर मार डाला है।
29 थे लोग तेरी प्रजा और निज भाग हैं, जिनको तू ने अपके बड़े सामर्य्य और बलवन्त भुजा के द्वारा निकाल ले आया है।।