1 फिर मूसा मोआब के अराबा से नबो पहाड़ पर, जो पिसगा की एक चोटी और यरीहो के साम्हने है, चढ़ गया; और यहोवा ने उसको दान तक का गिलाद नाम सारा देश,
2 और नप्ताली का सारा देश, और एप्रैम और मनश्शे का देश, और पच्छिम के समुद्र तक का यहूदा का सारा देश,
3 और दक्खिन देश, और सोअर तक की यरीहो नाम खजूरवाले नगर की तराई, यह सब दिखाया।
4 तब याहोवा ने उस से कहा, जिस देश के विषय में मैं ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से शपय खाकर कहा या, कि मैं इसे तेरे वंश को दूंगा वह यही है। मैं ने इसको तुझे साझात दिखला दिया है, परन्तु तू पार होकर वहां जाने न पाएगा।
5 तब यहोवा के कहने के अनुसार उसका दास मूसा वहीं मोआब देश में मर गया,
6 और उस ने उसे मोआब के देश में बेतपोर के साम्हने एक तराई में मिट्टी दी; और आज के दिन तक कोई नहीं जानता कि उसकी कब्र कहां है।
7 मूसा अपक्की मृत्यु के समय एक सौ बीस वर्ष का या; परन्तु न तो उसकी आंखें धुंधली पक्कीं, और न उसका पौरूष घटा या।
8 और इस्राएली मोआब के अराबा में मूसा के लिथे तीस दिन तक रोते रहे; तक मूसा के लिथे रोने और विलाप करने के दिन पूरे हुए।
9 और नून का पुत्र यहोशू बुद्धिमानी की आत्मा से परिपूर्ण या, क्योंकि मूसा ने अपके हाथ उस पर रखे थे; और इस्राएली उस आज्ञा के अनुसार जो याहोवा ने मूसा को दी यी उसकी मानते रहे।
10 और मूसा के तुल्य इस्राएल में ऐसा कोई नबी नहीं उठा, जिस से यहोवा ने आम्हने-साम्हने बातें कीं,
11 और उसको यहोवा ने फिरौन और उसके सब कर्मचारियोंके साम्हने, और उसके सारे देश में, सब चिन्ह और चमत्कार करने को भेजा या,
12 और उस ने सारे इस्राएलियोंकी दृष्टि में बलवन्त हाथ और बड़े भय के काम कर दिखाए।।