1 तब उस आज्ञा के अनुसार, जो यहोवा ने मुझ को दी यी, हम ने घूमकर कूच किया, और लाल समुद्र के मार्ग के जंगल की ओर चले; और बहुत दिन तक सेईर पहाड़ के बाहर बाहर चलते रहे।
2 तब यहोवा ने मुझ से कहा,
3 तुम लोगोंको इस पहाड़ के बाहर बाहर चलते हुए बहुत दिन बीत गए, अब घूमकर उत्तर की ओर चलो।
4 और तू प्रजा के लोगोंको मेरी यह आज्ञा सुना, कि तुम सेईर के निवासी अपके भाई एसावियोंके सिवाने के पास होकर जाने पर हो; और वे तुम से डर जाएँगे। इसलिथे तुम बहुत चौकस रहो;
5 उन्हें न छेड़ना; क्योंकि उनके देश में से मैं तुम्हें पाँव धरने का ठौर तक न दूँगा, इस कारण कि मैं ने सेईर पर्वत एसावियोंके अधिक्कारने में कर दिया हैं।
6 तुम उन से भोजन रूपके से मोल लेकर खा सकोगे, और रूपया देकर कुंओं से पानी भरके पी सकोगे।
7 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे हाथोंके सब कामोंके विषय तुम्हें आशीष देता आया है; इस भारी जंगल में तुम्हारा चलना फिरना वह जानता हैं; इन चालीस वर्षो में तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग संग रहा है; और तुम को कुछ घटी नहीं हुई।
8 योंहम सेईर निवासी और अपके भाई एसावियोंके पास से होकर, अराबा के मार्ग, और एलत और एस्योनगेबेर को पीछे छोड़कर चलें।। फिर हम मुड़कर मोआब के जंगल के मार्ग से होकर चले।
9 और यहोवा ने मुझ से कहा, मोआबियोंको न सताना और न लड़ाई छेड़ना, क्योंकि मैं उनके देश में से कुछ भी तेरे अधिक्कारने में न कर दूँगा क्योंकि मैं ने आर को लूतियोंके अधिक्कारने में किया है।
10 (अगले दिनोंमें वहाँ एमी लोग बसे हुए थे, जो अनाकियोंके समान बलवन्त और लम्बे लम्बे और गिनती में बहुत थे;
11 और अनाकियोंकी नाई वे भी रपाई गिने जाते थे, परन्तु मोआबी उन्हें एमी कहते हैं।
12 और अगले दिनोंमें सेईर में होरी लोग बसे हुए थे, परन्तु एसावियोंने उनको उस देश से निकाल दिया, और अपके साम्हने से नाश करके उनके स्यान पर आप बस गए; जैसे कि इस्राएलियोंने यहोवा के दिथे हुए अपके अधिक्कारने के देश में किया।)
13 अब तुम लोग कूच करके जेरेद नदी के पार जाओ; तब हम जेरेद नदी के पार आए।
14 और हमारे कादेशबर्ने को छोड़ने से लेकर जेरेद नदीे पार होने तक अड़तीस वर्ष बीत गए, उस बीच में यहोवा की शपय के अनुसार उस पीढ़ी के सब योद्धा छावनी में से नाश हो गए।
15 और जब तक वे नाश न हुए तब तक यहोवा का हाथ उन्हें छावनी में से मिटा डालने के लिथे उनके विरूद्ध बढ़ा ही रहा
16 जब सब योद्धा मरते मरते लोगोंके बीच में से नाश हो गए,
17 तब यहोवा ने मुझ से कहा,
18 अब मोआब के सिवाने, अर्यात आर को पार कर;
19 और जब तू अम्मोनियोंके साम्हने जाकर उनके निकट पहुँचे, तब उनको न सताना और न छेड़ना, क्योंकि मैं अम्मोनियोंके देश में से कुछ भी तेरे अधिक्कारने में न करूँगा, क्योंकि मैं ने उसे लूसियोंके अधिक्कारने में कर दिया है।
20 (वह देश भी रपाइयोंका गिना जाता या, क्योंकि अगले दिनोंमें रपाई, जिन्हें अम्मोनी जमजुम्मी कहते थे, वे वहाँ रहते थे;
21 वे भी अनाकियोंके समान बलवान और लम्बे लम्बे और गिनती में बहुत थे; परन्तु यहोवा ने उनको अम्मोनियोंके साम्हने से नाश कर डाला, और उन्होंने उनको उस देश से निकाल दिया, और उनके स्यान पर आप रहने लगे;
22 जैसे कि उस ने सेईर के निवासी एसावियोंके साम्हने से होरियोंको नाश किया, और उन्होंने उनको उस देश से निकाल दिया, और आज तक उनके स्यान पर वे आप निवास करते हैं।
23 वैसा ही अव्वियोंको, जो अज्जा नगर तक गाँवोंमें बसे हुए थे, उनको कप्तोरियोंने जो कप्तोर से निकले थे नाश किया, और उनके स्यान पर आप रहने लगे।)
24 अब तुम लोग उठकर कूच करो, और अर्नोन के नाले के पार चलो; सुन, मैं देश समेत हेशबोन के राजा एमोरी सीहोन को तेरे हाथ में कर देता हूँ; इसलिथे उस देश को अपके अधिक्कारने में लेना आरम्भ करो, और उस राजा से युद्ध छेड़ दो।
25 और जितने लोग धरती पर रहते हैं उन सभोंके मन में मैं आज ही के दिन से तेरे कारण डर और यरयराहट समवाने लगूंगा; वे तेरा समाचार पाकर तेरे डर के मारे कांपेंगे और पीड़ित होंगे।।
26 और मैं ने कदेमोत नाम जंगल से हेशबोन के राजा सीहोन के पास मेल की थे बातें कहने को दूत भेजे,
27 कि मुझे अपके देश में से होकर जाने दे; मैं राजपय पर चला जाऊँगा, और दहिने और बांए हाथ न मुड़ूँगा।
28 तू रूपया लेकर मेरे हाथ भोजनवस्तु देना कि मैं खाऊं, और पानी भी रूपया लेकर मुझ को देना कि मैं पीऊं; केवल मुझे पांव पांव चले जाने दे,
29 जैसा सेईर के निवासी एसावियोंने और आर के निवासी मोआबियोंने मुझ से किया, वैसा ही तू भी मुझ से कर, इस रीति मैं यरदन पार होकर उस देश में पहुंचूंगा जो हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है।
30 परन्तु हेशबोन के राजा सीहोन ने हम को अपके देश में से होकर चलने न दिया; क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने उसका चित्त कठोर और उसका मन हठीला कर दिया या, इसलिथे कि उसको तुम्हारे हाथ में कर दे, जैसा कि आज प्रकट है।
31 और यहोवा ने मुझ से कहा, सुन, मैं देश समेत सीहोन को तेरे वश में कर देने पर हूँ; उस देश को अपके अधिक्कारने में लेना आरम्भ कर।
32 तब सीहोन अपक्की सारी सेना समेत निकल आया, और हमारा साम्हना करके युद्ध करने को यहस तक चढ़ा आया।
33 और हमारे परमेश्वर यहोवा ने उसको हमारे द्वारा हरा दिया, और हम ने उसको पुत्रोंऔर सारी सेना समेत मार डाला।
34 और उसी समय हम ने उसके सारे नगर ले लिए, और एक एक बसे हुए नगर का स्त्रियोंऔर बालबच्चोंसमेत यहाँ तक सत्यनाश किया कि कोई न छूटा;
35 परन्तु पशुओं को हम ने अपना कर लिया, और उन नगरोंकी लूट भी हम ने ले ली जिनको हम ने जीत लिया या।
36 अर्नोन के नाले के छोरवाले अरोएर नगर से लेकर, गिलाद तक कोई नगर ऐसा ऊँचा न रहा जो हमारे साम्हने ठहर सकता या; क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा ने सभोंको हमारे वश में कर दिया।
37 परन्तु हम अम्मोनियोंके देश के निकट, वरन यब्बोक नदी के उस पार जितना देश है, और पहाड़ी देश के नगर जहाँ जहाँ जाने से हमारे परमेश्वर यहोवा ने हम को मना किया या, वहाँ हम नहीं गए।