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व्यवस्थाविवरण - Chapter 28

1 यदि तू अपके परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएं, जो मैं आज तुझे सुनाता हूं, चौकसी से पूरी करने का चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृय्वी की सब जातियोंमें श्रेष्ट करेगा। 
2 फिर अपके परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण थे सब आर्शीवाद तुझ पर पूरे होंगे। 
3 धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में। 
4 धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़-बकरी आदि पशुओं के बच्चे। 
5 धन्य हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती। 
6 धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय। 
7 यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएंगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे साम्हने से सात मार्ग से होकर भाग जाएंगे। 
8 तेरे खत्तोंपर और जितने कामोंमें तू हाथ लगाएगा उन सभोंपर यहोवा आशीष देगा; इसलिथे जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में वह तुझे आशीष देगा। 
9 यदि तू अपके परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गोंपर चले, तो वह अपक्की शपय के अनुसार तुझै अपक्की पवित्र प्रजा करके स्यिर रखेगा। 
10 और पृय्वी के देश देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएंगे। 
11 और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजोंसे शपय खाकर तुझे देने को कहा, या उस में वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा। 
12 यहोवा तेरे लिथे अपके आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामोंपर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियोंको उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पकेगा। 
13 और यहोवा तुझ को पुंछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे; 
14 और जिन वचनोंकी मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं उन में से किसी से दहिने वा बाएं मुड़के पराथे देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।। 
15 परन्तु यदि तू अपके परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियोंके पालने में जो मैं आज सुनाता हूं चौकसी नहीं करेगा, तो थे सब शाप तुझ पर आ पकेंगे। 
16 अर्यात्‌ शापित हो तू नगर में, शापित हो तू खेत में। 
17 शापित हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती। 
18 शापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायोंऔर भेड़-बकरियोंके बच्चे। 
19 शापित हो तू भीतर आते समय, और शापित हो तू बाहर जाते समय। 
20 फिर जिस जिस काम में तू हाथ लगाए, उस में यहोवा तब तक तुझ को शाप देता, और भयातुरं करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्यागकर दुष्ट काम करेगा। 
21 और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिक्कारनेी होने के लिथे तू जा रहा है उस से तेरा अन्त न हो जाए। 
22 यहोवा तुझ को झयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार से, और फुलस, और गेरूई से मारेगा; और थे उस समय तक तेरा पीछा किथे रहेंगे, तब तक तू सत्यानाश न हो जाए। 
23 और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पांव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी। 
24 यहोवा तेरे देश में पानी के बदले बालू और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहां तक बरसेगी कि तू सत्यानाश हो जाएगा। 
25 यहोवा तुझ को शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका साम्हना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके साम्हने से भाग जाएगा; और पृय्वी के सब राज्योंमें मारा मारा फिरेगा। 
26 और तेरी लोय आकाश के भांति भांति के पझियों, और धरती के पशुओं का आहार होगी; और उनका कोई हाँकनेवाला न होगा। 
27 यहोवा तुझ को मिस्र के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा। 
28 यहोवा तुझे पागल और अन्धा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा; 
29 और जैसे अन्धा अन्धिक्कारने में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम काज सुफल न होंगे; और तू सदैव केवल अन्धेर सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा। 
30 तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरूष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उस में बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा। 
31 तेरा बैल तेरी आंखोंके साम्हने मारा जाएगा, और तू उसका मांस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आंख के साम्हने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़-बकरियां तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएंगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुड़ानेवाला न होगा। 
32 तेरे बेटे-बेटियां दूसरे देश के लोगोंके हाथ लग जाएंगे, और उनके लिथे चाव से देखते देखते तेरी आंखे रह जाएंगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा। 
33 तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोगे खा जाएंगे; और सर्वदा तू केवल अन्धेर सहता और पीसा जाता रहेगा; 
34 यहां तक कि तू उन बातोंके कारण जो अपक्की आंखोंसे देखेगा पागल हो जाएगा। 
35 यहोवा तेरे घुटनोंऔर टांगोंमें, वरन नख से शिख तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझ को पीड़ित करेगा। 
36 यहोवा तुझ को उस राजा समेत, जिस को तू अपके ऊपर ठहराएगा, तेरी और तेरे पूर्वजोंसे अनजानी एक जाति के बीच पहुंचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्यर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा। 
37 और उन सब जातियोंमें जिनके मध्य में यहोवा तुझ को पहुंचाएगा, वहां के लोगोंके लिथे तू चकित होने का, और दृष्टान्त और शाप का कारण समझा जाएगा। 
38 तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज योड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिड्डियां उसे खा जाएंगी। 
39 तू दाख की बारियां लगाकर उन मे काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएंगे। 
40 तेरे सारे देश में जलपाई के वृझ तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपके शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे फड़ जाएंगे। 
41 तेरे बेटे-बेटियां तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएंगे। 
42 तेरे सब वृझ और तेरी भूमि की उपज टिड्डियां खा जाएंगी। 
43 जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा। 
44 वह तुझ को उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूंछ ठहरेगा। 
45 तू जो अपके परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियोंके मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण थे सब शाप तुझ पर आ पकेंगे, और तेरे पीछे पके रहेंगे, और तुझ को पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा। 
46 और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिथे बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे; 
47 तू जो सब पदार्य की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साय अपके परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा, 
48 इस कारण तुझ को भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्योंसे रहित होकर अपके उन शत्रुओं की सेवा करनी पकेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरूद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लेहे का जूआ डाल रखेगा। 
49 यहोवा तेरे विरूद्ध दूर से, वरन पृय्वी के छोर से वेग उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा; 
50 उस जाति के लोगोंका व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ोंका मुंह देखकर आदर करेंगे, और न बालकोंपर दया करेंगे; 
51 और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहां तक खा जांएगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिथे न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहां तक कि तू नाश हो जाएगा। 
52 और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिथे हुए सारे देश के सब फाटकोंके भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकोंके भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊंची ऊंची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएं। 
53 तब घिर जाने और उस सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझ को डालेंगे, तू अपके निज जन्माए बेटे-बेटियोंका मांस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को देगा खाएगा। 
54 और तुझ में जो पुरूष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपके भाई, और अपक्की प्राणप्यारी, और अपके बचे हुए बालकोंको क्रूर दृष्टि से देखेगा; 
55 और वह उन में से किसी को भी अपके बालकोंके मांस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस सकेती में, जिस में तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकोंके भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा। 
56 और तुझ में जो स्त्री यहां तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पांव धरते भी डरती हो, वह भी अपके प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को, 
57 अपक्की खेरी, वरन अपके जने हुए बच्चोंको क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकोंके भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिप के खाएगी। 
58 यदि तू इन व्यवस्या के सारे वचनोंके पालने में, जो इस पुस्तक में लिखें है, चौकसी करके उस आदरनीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने, 
59 तो यहोवा तुझ को और तेरे वंश को अनोखे अनोखे दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी भारी दण्ड होंगे। 
60 और वह मिस्र के उन सब रोगोंको फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिन से तू भय खाता या; और वे तुझ में लगे रहेंगे। 
61 और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्या की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभोंको भी यहोवा तुझ को यहां तक लगा देगा, कि तू सत्यानाश हो जाएगा। 
62 और तू जो अपके परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारोंके समान अनगिनित होने की सन्ती तुझ में से योड़े ही मनुष्य रह जाएंगे। 
63 और जैसे अब यहोवा की तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हें नाश वरन सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिक्कारनेी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे। 
64 और यहोवा तुझ को पृय्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशोंके लोगोंमें तित्तर बित्तर करेगा; और वहां रहकर तू अपके और अपके पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्यर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा। 
65 और उन जातियोंमें तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पांव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहां यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा ह्रृदय कांपता रहेगा, और तेरी आंखे धुंधली पड़ जाएगीं, और तेरा मन कलपता रहेगा; 
66 और तुझ को जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन रात यरयराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा। 
67 तेरे मन में जो भय बना रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहेगा, कि सांफ कब होगी! और सांफ को आह मारके कहेगा, कि भोर कब होगा। 
68 और यहोवा तुझ को नावोंपर चढ़ाकर मिस्र में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैं ने तुझ से कहा या, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहंा तुम अपके शत्रुओं के हाथ दास-दासी होने के लिथे बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।।