1 यदि मनुष्योंके बीच कोई फगड़ा हो, और वे न्याय करवाने के लिथे न्यायियोंके पास जाएं, और वे उनका न्याय करें, तो निर्दोष को निर्दोष और दोषी को दोषी ठहराएं।
2 और यदि दोषी मार खाने के योग्य ठहरे, तो न्यायी उसको गिरवाकर अपके साम्हने जैसा उसका दोष हो उसके अनुसार कोड़े गिनकर लगवाए।
3 वह उसे चालीस कोड़े तक लगवा सकता है, इस से अधिक नहीं लगवा सकता; ऐसा न हो कि इस से अधिक बहुत मार खिलवाने से तेरा भाई तेरी दृष्टि में तुच्छ ठहरे।।
4 दांवते समय चलते हुए बैल का मुंह न बान्धना।
5 जब कोई भाई संग रहते हों, और उन में से एक निपुत्र मर जाए, तो उसकी स्त्री का ब्याह परगोत्री से न किया जाए; उसके पति का भाई उसके पास जाकर उसे अपक्की पत्नी कर ले, और उस से पति के भाई का धर्म पालन करे।
6 और जो पहिला बेटा उस स्त्री से उत्पन्न हो वह उस मरे हुए भाई के नाम का ठहरे, जिस से कि उसका नाम इस्राएल में से मिट न जाए।
7 यदि उस स्त्री के पति के भाई को उसे ब्याहना न भाए, तो वह स्त्री नगर के फाटक पर वृद्ध लोगोंके पास जाकर कहे, कि मेरे पति के भाई ने अपके भाई का नाम इस्त्राएल में बनाए रखने से नकार दिया है, और मुझ से पति के भाई का धर्म पालन करना नहीं चाहता।
8 तब उस नगर के वृद्ध उस पुरूष को बुलवाकर उसे समझाएं; और यदि वह अपक्की बात पर अड़ा रहे, और कहे, कि मुझे इसको ब्याहना नहीं भावता,
9 तो उसके भाई की पत्नी उन वृद्ध लोगोंके साम्हने उसके पास जाकर उसके पांव से जूती उतारे, और उसके मूंह पर यूक दे; और कहे, जो पुरूष अपके भाई के वंश को चलाना न चाहे उस से इसी प्रकार व्यवहार किया जाएगा।
10 तब इस्राएल में उस पुरूष का यह नाम पकेगा, अर्यात् जूती उतारे हुए पुरूष का घराना।।
11 यदि दो पुरूष आपस में मारपीट करते हों, और उन में से एक की पत्नी अपके पति को मारनेवाले के हाथ से छुड़ाने के लिथे पास जाए, और अपना हाथ बढ़ाकर उसके गुप्त अंग को पकड़े,
12 तो उस स्त्री का हाथ काट डालना; उस पर तरस न खाना।।
13 अपक्की यैली में भांति भांति के अर्यात् घटती-बढ़ती बटखरे न रखना।
14 अपके घर में भांति भांति के, अर्यात् घटती-बढती नपुए न रखना।
15 तेरे बटखरे और नपुए पूरे पूरे और धर्म के हों; इसलिथे कि जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तेरी आयु बहुत हो।
16 क्योंकि ऐसे कामोंमें जितने कुटिलता करते हैं वे सब तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में घृणित हैं।।
17 स्मरण रख कि जब तू मिस्र से निकलकर आ रहा या तब अमालेक ने तुझ से मार्ग में क्या किया,
18 अर्यात् उनको परमेश्वर का भय न या; इस कारण उस ने जब तू मार्ग में यका मांदा या, तब तुझ पर चढ़ाई करके जितने निर्बल होने के कारण सब से पीछे थे उन सभोंको मारा।
19 इसलिथे जब तेरा परमेश्वर यहोवा उस देश में, जो वह तेरा भाग करके तेरे अधिक्कारने में कर देता है, तुझे चारोंओर के सब शत्रुओं से विश्रम दे, तब अमालेक का नाम धरती पर से मिटा डालना; और तुम इस बात को न भूलना।।