1 तब यिशै के ठूंठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकलकर फलवन्त होगी।
2 और यहोवा की आत्मा, बुद्धि और समझ की आत्मा, युक्ति और पराक्रम की आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी।
3 ओर उसको यहोवा का भय सुगन्ध सा भाएगा।। वह मुंह देखा न्याय न करेगा और न अपके कानोंके सुनने के अनुसार निर्णय करेगा;
4 परन्तु वह कंगालोंका न्याय धर्म से, और पृय्वी के नम्र लोगोंका निर्णय खाराई से करेगा; और वह पृय्वी को अपके वचन के सोंटे से मारेगा, और अपके फूंक के फोंके से दुष्ट को मिटा डालेगा।
5 उसकी कटि का फेंटा धर्म और उसकी कमर का फेंटा सच्चाई होगी।।
6 तब भेडिय़ा भेड़ के बच्चे के संग रहा करेगा, और चीता बकरी के बच्चे के साय बैठा रहेगा, और बछड़ा और जवान सिंह और पाला पोसा हुआ बैल तीनोंइकट्ठे रहेंगे, और एक छोटा लड़का उनकी अगुवाई करेगा।
7 गाय और रीछनी मिलकर चरेंगी, और उनके बच्चे इकट्ठे बैठेंगे; और सिंह बैल की नाईं भूसा खाया करेगा।
8 दूधपिउवा बच्चा करैत के बिल पर खेलेगा, और दूध छुड़ाया हुआ लड़का नाग के बिल में हाथ डालेगा।
9 मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दु:ख देगा और न हानि करेगा; क्योंकि पृय्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।।
10 उस समय यिशै की जड़ देश देश के लोगोंके लिथे एक फण्ड़ा होगी; सब राज्योंके लोग उसे ढूंढ़ेंगें, और उसका विश्रमस्यान तेजोमय होगा।।
11 उस समय प्रभु अपना हाथ दूसरी बार बढ़ाकर बचे हुओं को, जो उसकी प्रजा के रह गए हैं, अश्शूर से, मिस्र से, पत्रोस से, कूश से, एलाम से, शिनार से, हमात से, और समुद्र के द्वीपोंसे मोल लेकर छुड़ाएगा।
12 वह अन्यजातियोंके लिथे फण्ड़ा खड़ा करके इस्राएल के सब निकाले हुओं को, और यहूदा के सब बिखरे हुओं को पृय्वी की चारोंदिशाओं से इकट्ठा करेगा।
13 एप्रैम फिर डाह न करेगा और यहूदा के तंग करनेवाले काट डाले जाएंगे; न तो एप्रैम यहूदा से डाह करेगा और न यहूदा एप्रैम को तंग करेगा।
14 परन्तु वे पश्चिम की ओर पलिश्तियोंके कंधे पर फपट्टा मारेंगे, और मिलकर पूविर्योंको लूटेंगे। वे एदोम और मोआब पर हाथ बढ़ाएंगे, और अम्मोनी उनके अधीन हो जाएंगे।
15 और यहोवा मिस्र के समुद्र की खाड़ी को सुखा डालेगा, और महानद पर अपना हाथ बढ़ाकर प्रचण्ड लू से ऐसा सुखाएगा कि वह सात धार हो जाएगा, और लोग लूता पहिने हुए भी पार हो जाएंगे।
16 और उसकी प्रजा के बचे हुओं के लिथे अश्शूर से एक ऐसा राज-मार्ग होगा जैसा मिस्र देश से चले आने के समय इस्राएल के लिथे हुआ या।।