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यशायाह - Chapter 56

1 यहोवा योंकहता है, न्याय का पालन करो, और धर्म के काम करो; क्योंकि मैं शीघ्र तुम्हारा उद्धार करूंगा, और मेरा धर्मी होना प्रगट होगा। 
2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्यिर रहता है, जो विश्रपदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है, और अपके हाथ को सब भांति की बुराई करने से रोकता है। 
3 जो परदेशी यहोवा से मिल गए हैं, वे न कहें कि यहोवा हमें अपक्की प्रजा से निश्चय अलग करेगा; और खोजे भी न कहें कि हम तो सूखे वृझ हैं। 
4 क्योंकि जो खोजे मेरे विश्रमदिन को मानते और जिस बात से मैं प्रसन्न रहता हूं उसी को अपनाते और मेरी वाचा को पालते हैं, उनके विषय यहोवा योंकहता है 
5 कि मैं अपके भवन और अपक्की शहर-पनाह के भीतर उनको ऐसा नाम दूंगा जो पुत्र-पुत्रियोंसे कहीं उत्तम होगा; मैं उनका नाम सदा बनाए रखूंगा और वह कभी न मिटाया जाएगा। 
6 परदेशी भी जो यहोवा के साय इस इच्छा से मिले हुए हैं कि उसकी सेवा टहल करें और यहोवा के नाम से प्रीति रखें और उसके दास हो जाएं, जितने विश्रमदिन को अपवित्र करने से बचे रहते और मेरी वाचा को पालते हैं, 
7 उनको मैं अपके पवित्र पर्वत पर ले आकर अपके प्रार्यना के भवन में आनन्दित करूंगा; उनके होमबलि और मेलबलि मेरी वेदी पर ग्रहण किए जाएंगे; क्योंकि मेरा भवन सब देशोंके लोगोंके लिथे प्रार्यना का घर कहलाएगा। 
8 प्रभु यहोवा, जो निकाले हुए इस्राएलियोंको इकट्ठे करनेवाला है, उसकी यह वाणी है कि जो इकट्ठे किए गए हैं उनके साय मैं औरोंको भी इकट्ठे करके मिला दूंगा।। 
9 हे मैदान के सब जन्तुओं, हे वन के सब पशुओं, खाने के लिथे आओ। 
10 उसके पहरूए अन्धे हैं, वे सब के सब अज्ञानी हैं, वे सब के सब गूंगे कुत्ते हैं जो भूंक नहीं सकते; वे स्वप्न देखनेवाले और लेटे रहकर सोते रहना चाहते हैं। 
11 वे मरभूखे कुत्ते हैं जो कभी तृप्त नहीं होते। वे चरवाहे हें जिन में समझ ही नहीं; उन सभोंने अपके अपके लाभ के लिथे अपना अपना मार्ग लिया है। 
12 वे कहते हैं कि आओ, हम दाखमधु ले आएं, आओ मदिरा पीकर छक जाएं; कल का दिन भी तो आज ही के समान अत्यन्त सुहावना होगा।।