1 फिर यहोवा ने मुझ से कहा, एक बड़ी पटिया लेकर उस पर साधारण अझरोंसे यह लिख: महेर्शालाल्हाशबज के लिथे।
2 और मैं विश्वासयोग्य पुरूषोंको अर्यात् ऊरिय्याह याजक और जेबेरेक्याह के पुत्र जकर्याह को इस बात की साझी करूंगा।
3 और मैं अपक्की पत्नी के पास गया, और वह गर्भवती हुई और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ। तब यहोवा ने मुझ से कहा, उसका नाम महेर्शालाल्हाशबज रख;
4 क्योंकि इस से पहिले कि वह लड़का बापू और माँ पुकारण जाने, दमिश्क और शोमरोन दोनोंकी धन-सम्पत्ति लूटकर अश्शूर का राजा अपके देश को भेजेगा।।
5 यहोवा ने फिर मुझ से दूसरी बार कहा,
6 इसलिथे कि लोग शीलोह के धीरे धीरे बहनेवाले सोते को निकम्मा जानते हैं, और रसीन और रमल्याह के पुत्र के संग एका करके आनन्द करते हैं,
7 इस कारण सुन, प्रभु उन पर उस प्रबल और गहिरे महानद को, अर्यात् अश्शूर के राजा को उसके सारे प्रताप के साय चढ़ा लाएगा; और वह उनके सब नालोंको भर देगा और सारे कड़ाड़ोंसे छलककर बहेगा;
8 और वह यहूदा पर भी चढ़ आएगा, और बढ़ते बढ़ते उस पर चढ़ेगा और गले तक पहुंचेगा; और हे इम्मानुएल, तेरा समस्त देश उसके पंखोंके फैलने से ढंप जाएगा।।
9 हे लोगों, हल्ला करो तो करो, परन्तु तुम्हारा सत्यानाश हो जाएगा। हे पृय्वी के दूर दूर देश के सब लोगोंकान लगाकर सुनो, अपक्की अपक्की कमर कसो तो कसो, परन्तु तुम्हारे टुकड़े टुकड़े किए जाएंगे; अपक्की कमर कसो तो कसो, परन्तु तुम्हारा सत्यानाश हो जाएगा।
10 तुम युक्ति करो तो करो, परन्तु वह निष्फल हो जाएगी, तुम कुछ भी कहो, परन्तु तुम्हारा कहा हुआ ठहरेगा नहीं, क्योंकि परमेश्वर हमारे संग है।।
11 क्योंकि यहोवा दृढ़ता के साय मुझ से बोला और इन लोगोंकी सी चाल चलने को मुझे मना किया,
12 और कहा, जिस बात को यह लोग राजद्रोह कहें, उसको तुम राजद्रोह न कहना, और जिस बात से वे डरते हैं उस से तुम न डरना और न भय खाना।
13 सेनाओं के यहोवा ही को पवित्र जानना; उसी का डर मानना, और उसी का भय रखना।
14 और वह शरणस्यान होगा, परन्तु इस्राएल के दोनो घरानोंके लिथे ठोकर का पत्यर और ठेस की चट्टान, और यरूशलेम के निवासियोंके लिथे फन्दा और जाल होगा।
15 और बहुत से लोग ठोकर खाएंगे; वे गिरेंगे और चकनाचूर होंगे; वे फन्दे में फसेंगे और पकड़े जाएंगे।
16 चितौनी का पत्र बन्द कर दो, मेरे चेलोंके बीच शिझा पर छाप लगा दो।
17 मैं उस यहोवा की बाट जोहता रहूंगा जो अपके मुंख को याकूब के घराने से छिपाथे है, और मैं उसी पर आशा लगाए रहूंगा।
18 देख, मैं और जो लड़के यहोवा ने मुझे सौंपे हैं, उसी सेनाओं के यहोवा की ओर से जो सिय्योन पर्वत पर निवास किए रहता है इस्राएलियोंके लिथे चिन्ह और चमत्कार हैं।
19 जब लोग तुम से कहें कि ओफाओं और टोन्होंके पास जाकर पूछो जो गुनगुनाते और फुसफुसाते हैं, तब तुम यह कहना कि क्या प्रजा को अपके परमेश्वर ही के पास जाकर न पूछना चाहिथे? क्या जीवतोंके लिथे मुर्दोंसे पूछना चाहिथे?
20 व्यवस्या और चितौनी ही की चर्चा किया करो! यदि वे लोग इस वचनोंके अनुसार न बोलें तो निश्चय उनके लिथे पौ न फटेगी
21 वे इस देश में क्लेशित और भूखे फिरते रहेंगे; और जब वे भूखे होंगे, तब वे क्रोध में आकर अपके राजा और अपके परमेश्वर को शाप देंगे, और अपना मुख ऊपर आकाश की ओर उठाएंगे;
22 तब वे पृय्वी की ओर दृष्टि करेंगे परन्तु उन्हें सकेती और अन्धिक्कारनेा अर्यात् संकट भरा अन्धकार ही देख पकेगा; और वे घोर अन्धकार में ढकेल दिए जाएंगे।।