1 हाथ उन पर जो सहाथता पाने के लिथे मिस्र को जाते हैं और घोड़ोंका आसरा करते हैं; जो रयोंपर भरोसा रखते क्योंकि वे बहुत हैं, और सवारोंपर, क्योंकि वे अति बलवान हैं, पर इस्राएल के पवित्र की ओर दृष्टि नहीं करते और न यहोवा की खोज करते हैं!
2 परन्तु वह भी बुद्धिमान है और दु:ख देगा, वह अपके वचन न टालेगा, परन्तु उठकर कुकमिर्योंके घराने पर और अनर्यकारियोंके सहाथकोंपर भी चढ़ाई करेगा।
3 मिस्री लोग ईश्वर नहीं, मनुष्य ही हैं; और उनके घोड़े आत्मा नहीं, मांस ही हैं। जब यहोवा हाथ बढ़ाएगा, तब सहाथता करनेवाले और सहाथतक चाहनेवाले दोनोंठोकर खाकर गिरेंगे, और वे सब के सब एक संग नष्ट हो जाएंगे।
4 फिर यहोवा ने मुझ से योंकहा, जिस प्रकार सिंह वा जवान सिंह जब अपके अहेर पर गुर्राता हो, और चरवाहे इकट्ठे होकर उसके विरूद्ध बड़ी भीड़ लगाएं, तौभी वह उनके बोल से न घबराएगा और न उनके कोलाहल के कारण दबेगा, उसी प्रकार सेनाओं का यहोवा, सिय्योन पर्वत और यरूशलेम की पहाड़ी पर, युद्ध करने को उतरेगा।
5 पंख फैलाई हुई चिडिय़ोंकी नाईं सेनाओं का यहोवा यरूशलेम की रझा करेगा; वह उसकी रझा करके बचाएगा, और उसको बिन छूए ही उद्धार करेगा।।
6 हे इस्राएलियों, जिसके विरूद्ध तुम ने भारी बलवा किया है, उसी की ओर फिरो।
7 उस समय तुम लोग सोने चान्दी की अपक्की अपक्की मूतिर्योंसे जिन्हें तुम बनाकर पापी हो गए हो धृणा करोगे।
8 तब अश्शूर उस तलवार से गिराया जाएगा जो मनुष्य की नहीं; वह उस तलवार का कौर हो जाएगा जो आदमी की नहीं; और वह तलवार के साम्हने से भागेगा और उसके जवान बेगार में पकड़े जाएंगे।
9 वह भय के मारे अपके सुन्दर भवन से जाता रहेगा, और उसके हाकिम धबराहट के कारण ध्वजा त्याग कर भाग जाएंगे, यहोवा जिस की अग्नि सिय्योन में और जिसका भट्ठा यरूशेलम में हैं, उसी यह वाणी है।।