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यशायाह - Chapter 53

1 जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास कया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ? 
2 क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर की नाईं, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता यी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। 
3 वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्योंका त्यागा हुआ या; वह दु:खी पुरूष या, रोग से उसकी जान पहिचान यी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।। 
4 निश्चय उस ने हमारे रोगोंको सह लिया और हमारे ही दु:खोंको उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। 
5 परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामोंके हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिथे उस पर ताड़ना पक्की कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं। 
6 हम तो सब के सब भेड़ोंकी नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभोंके अधर्म का बोफ उसी पर लाद दिया।। 
7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उस ने भी अपना मुंह न खोला। 
8 अत्याचार करके और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगोंमें से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतोंके बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगोंके अपराधोंके कारण उस पर मार पक्की। 
9 और उसकी कब्र भी दुष्टोंके संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उस ने किसी प्रकार का अपद्रव न किया या और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली यी।। 
10 तौभी यहोवा को यही भया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी। 
11 वह अपके प्राणोंका दु:ख उठाकर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपके ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरोंको धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामोंका बोफ आप उठा लेगा। 
12 इस कारण मैं उसे महान लोगोंके संग भाग दूंगा, और, वह सामयिर्योंके संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिथे उण्डेल दिया, वह अपराधियोंके संग गिना गया; तौभी उस ने बहुतोंके पाप का बोफ उठ लिया, और, अपराधियोंके लिथे बिनती करता है।।