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यशायाह - Chapter 16

1 जंगल की ओर से सेला नगर से सिय्योन की बेटी के पर्वत पर देश के हाकिम के लिथे भेड़ोंके बच्चोंको भेजो। 
2 मोआब की बेटियां अर्नोन के घाट पर उजाड़े हुए बच्चोंके समान हैं। 
3 सम्मति करो, न्याय चुकाओ; दोपहर ही में अपक्की छाया को रात के समान करो; घर से निकाले हुओं को छिपा रखो, जो मारे मारे फिरते हैं उनको मत पकड़वाओ। 
4 मेरे लोग जो निकाले हुए हैं वे तेरे बीच में रहें; नाश करनेवाले से मोआब को बचाओ। पीसनेवाला नहीं रहा, लूट पाट फिर न होगी; क्योंकि देश में से अन्धेर करनेवाले नाश हो गए हैं। 
5 तब दया के साय एक सिंहासन स्यिर किया जाएगा और उस पर दाऊद के तम्बू में सच्चाई के साय एक विराजमान होगा जो सोच विचार कर सच्चा न्याय करेगा और धर्म के काम पर तत्पर रहेगा।। 
6 हम ने मोआब के गर्व के विषय सुना है कि वह अत्यन्त अभिमानी या; उसके अभिमान और गर्व और रोष के सम्बन्ध में भी सुना है परन्तु उसका बड़ा बोल व्यर्य है। 
7 क्योंकि मोआब हाथ हाथ करेगा; सब के सब मोआब के लिथे हाहाकार करेंगे। कीरहरासत की दाख की टिकियोंके लिथे वे अति निराश होकर लम्बी लम्बी सांस लिया करेंगे।। 
8 क्योंकि हेशबोन के खेत और सिबमा की दाख लताएं मुर्फा गईं; अन्यजातियोंके अधिक्कारनेियोंने उनकी उत्तम उत्तम लताओं को काट काटकर गिरा दिया है, थे याजेर तक पहुंची और जंगल में भी फैलती गईं; और बढ़ते बढ़ते ताल के पार दूर तक बढ़ गई यीं। 
9 मैं याजेर के साय सिबमा की दाखलताओं के लिथे भी रोऊंगा; हे हेशबोन और एलाले, मैं तुम्हें अपके आंसुओं से सींचूंगा; क्योंकि तुम्हारे धूपकाल के फलोंके और अनाज की कटनी के समय की ललकार सुनाई पक्की है। 
10 और फलदाई बारियोंमें से आनन्द और मगनता जाती रही; दाख की बारियोंमें गीत न गाया जाएगा, न हर्ष का शब्द सुनाई देगा; और दाखरस के कुण्डोंमें कोई दाख न रौंदेगा, क्योंकि मैं उनके हर्ष के शब्द को बन्द करूंगा। 
11 इसलिथे मेरा मन मोआब के कारण और मेरा ह्रृदय कीरहैरेस के कारण वीणा का सा क्रन्दन करता है।। 
12 और जब मोआब ऊंचे स्यान पर मुंह दिखाते दिखाते यक जाए, और प्रार्यना करने को अपके पवित्र स्यान में आए, तो उसे कुछ लाभ न होगा। 
13 यही वह बात है जो यहोवा ने इस से पहिले मोआब के विषय में कही यी। 
14 परन्तु अब यहोवा ने योंकहा है कि मजदूरोंके वर्षोंके समान ती वर्ष के भीतर मोआब का विभव और उसकी भीड़-भाड़ सब तुच्छ ठहरेगी; और योड़े जो बचेंगे उनका कोई बल न होगा।।