1 समुद्र के पास के जंगल के विषय भारी वचन। जैसे दक्खिनी प्रचण्ड बवण्डर चला आता है, वह जंगल से अर्यात् डरावने देश से निकट आ रहा है।
2 कष्ट की बातोंका मुझे दर्शन दिखाया गया है; विश्वासघाती विश्वासघात करता है, और नाशक नाश करता है। हे एलाम, चढ़ाई कर, हे मादै, घेर ले; उसका सब कराहना मैं बन्द करता हूं।
3 इस कारण मेरी कटि में कठिन पीड़ा है; मुझ को मानो जच्चा पीडें हो रही है; मैं ऐसे संकट में पडत्र् गया हूं कि कुछ सुनाई नहीं देता, मैं एसा घबरा गया हूं कि कुछ दिखाई नहीं दंता।
4 मेरा ह्रृदय धड़कता है, मैं अत्यन्त भयभीत हूं, जिस सांफ की मैं बाट जोहता या उसे उस ने मेरी यरयराहट का कारण कर दिया है।
5 भोजन की तैयारी हो रही है, पहरूए बैठाए जा रहे हैं, खाना-पीना हो रहा है। हे हाकिमो, उठो, ढाल में तेल मलो!
6 क्योंकि प्रभु ने मुझ से योंकहा है, जाकर एक पहरूआ खड़ा कर दे, और वह जो कुछ देखे उसे बताए।
7 जब वह सवार देखे जो दो-दो करके आते हों, और गदहोंऔर ऊंटोंके सवार, तब बहुत ही ध्यान देकर सुने।
8 और उस ने सिंह के से शब्द से पुकारा, हे प्रभु मैं दिन भर खड़ा पहरा देता रहा और मैं ने पूरी रातें पहरे पर काटा।
9 और क्या देखता हूं कि मनुष्योंका दल और दो-दो करके सवा चले आ रहे हैं! और वह बोल उठा, गिर पड़ा, बाबुल गिर पड़ा; और उसके देवताओं के सब खुदी हुई मूरतें भूमि पर चकनाचूर कर डाली गई हैं।
10 हे मेरे दाएं हुए, और मेरे खलिहान के अन्न, जो बातें मैं ने इस्राएल के परमेश्वर सेनाओं के यहोवा से सुनी है, उनको मैं ने तुम्हें जता दिया है।
11 दूमा के विषय भारी वचन। सेईर में से कोई मुझे पुकार रहा है, हे पहरूए, रात का क्या समाचार है? हे पहरूए, रात की क्या खबर है?
12 पहरूए ने कहा, भोर होती है और रात भी। यदि तुम पूछना चाहते हो तो पूछो; फिर लौटकर आना।।
13 अरब के विरूद्ध भारी वचन। हे ददानी बटोहियों, तुम को अरब के जंगल में रात बितानी पकेगी।
14 वे प्यासे के पास जल लाए, तेमा देश के रहनेवाले रोटी लेकर भागनेवाले से मिलने के लिथे निकल आ रहे हैं।
15 क्योंकि वे तलवारोंके साम्हने से वरन नंगी तलवार से और ताने हुए धनुष से और घोर युद्ध से भागे हैं।
16 क्योंकि प्रभु ने मुझ से योंकहा है, मजदूर के वर्षोंके अनुसार एक वर्ष में केदार का सारा विभव मिटाया जाएगा;
17 और केदार के धनुर्धारी शूरवीरोंमें से योड़े ही रह जाएंगे; क्योंकि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने ऐसा कहा है।।