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यशायाह - Chapter 66

1 यहोवा योंकहता है, आकाश मेरा सिंहासन और पृय्वी मेरे चरणोंकी चौकी है; तुम मेरे लिथे कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्रम का कौन सा स्यान होगा? 
2 यहोवा की यह वाणी है, थे सब वस्तुएं मेरे ही हाथ की बनाई हुई हैं, सो थे सब मेरी ही हैं। परन्तु मैं उसी की ओर दृष्टि करूंगा जो दी और खेदित मन का हो, और मेरा वचन सुनकर यरयराता हो।। 
3 बैल का बलि करनेवाला मनुष्य के मार डालनेवाले के समान है; जो भेड़ के चढ़ानेवाला है वह उसके समान है जो कुत्ते का गला काटता है; जो अन्नबलि चढ़ाता है वह मानो सूअर का लोहू चढ़ानेवाले के समान है; और, जो लोबान जलाता है, वह उसके समान है जो मूरत को धन्य कहता है। इन सभोंने अपना अपना मार्ग चुन लिया है, और घिनौनी वस्तुओं से उनके मन प्रसन्न हाते हैं। 
4 इसलिथे मैं भी उनके लिथे दु:ख की बातें निकालूंगा, और जिन बातोंसे वे डरते हैं उन्हीं को उन पर लाऊंगा; क्योंकि जब मैं ने उन्हें बुलाया, तब कोई न बोला, और जब मैं ने उन से बातें की, तब उन्होंने मेरी न सुनी; परन्तु जो मेरी दृष्टि में बुरा या वही वे करते रहे, और जिस से मैं अप्रसन्न होता या उसी को उन्होंने अपनाया।। तुम जो यहोवा का वचन सुनकर यरयराते हो यहोवा का यह वचन सुनो: 
5 तुम्हारे भाई जो तुम से बैर रखते और मेरे नाम के निमित्त तुम को अलग कर देते हैं उन्होंने कहा है, यहोवा की महिमा तो बढ़े, जिस से हम तुम्हारा आनन्द देखते पाएं; परन्तु उन्हीं को लज्जित होना पकेगा।। 
6 सुनो, नगर से कोलाहल की धूम, मन्दिर से एक शब्द, सुनाई देता है! वह यहोवा का शब्द है, वह अपके शत्रुओं को उनकी करनी का फल दे रहा है! 
7 उसकी पीड़ाएं उठाने से पहले ही उस ने जन्मा दिया; उसको पीड़ाएं होने से पहिले ही उस से बेटा जन्मा। 
8 ऐसी बात किस ने कभी सुनी? किस ने कभी ऐसी बातें देखी? क्या देश एक ही दिन में उत्पन्न हो सकता है? क्या एक जाति झण मात्र में ही उत्पन्न हो सकती है? क्योंकि सिय्योन की पीड़ाएं उठी ही यीं कि उस से सन्तान उत्पन्न हो गए। 
9 यहोवा कहता है, क्या मैं उसे जन्माने के समय तक पहुंचाकर न जन्माऊं? तेरा परमेश्वर कहता है, मैं जो गर्भ देता हूं क्या मैं कोख बन्द करूं? 
10 हे यरूशलेम से सब प्रेम रखनेवालो, उसके साय आनन्द करो और उसके कारण मगन हो; हे उसके विषय सब विलाप करनेवालो उसके साय हषिर्त हो! 
11 जिस से तुम उसके शान्तिरूपी स्तन से दूध पी पीकर तृप्त हो; और दूध पीकर उसकी महिमा की बहुतायत से अत्यन्त सुखी हो।। 
12 क्योंकि यहोवा योंकहता है, देखो, मैं उसकी ओर शान्ति को नदी की नाईं, और अन्यजातियोंके धन को नदी की बाढ़ के समान बहा दूंगा; और तुम उस से पीओगे, तुम उसकी गोद में उठाए जाओगे और उसके घुटनोंपर कुदाए जाओगे। 
13 जिस प्रकार माता अपके पुत्र को शान्ति देती है, वैस ही मैं भी तुम्हें शान्ति दुंगा; तुम को यरूशलेम ही में शान्ति मिलेगी। 
14 तुम यह देखोगे और प्रफुल्लित होगे; तुम्हारी हड्डियां घास की नाईं हरी भरी होंगी; और यहोवा का हाथ उसके दासोंके लिथे प्रगट होगा, और, उसके शत्रुओं के ऊपर उसका क्रोध भड़केगा।। 
15 क्योंकि देखो, यहोवा आग के साय आएगा, और उसके रय बवण्डर के समान होंगे, जिस से वह अपके क्रोध को जलजलाहट के साय और अपक्की चितौनी को भस्म करनेवाली आग की लपट में प्रगट करे। 
16 क्योंकि यहोवा सब प्राणियोंका न्याय आग से और अपक्की तलवार से करेगा; और यहोवा के मारे हुए बहुत होंगे।। 
17 जो लोग अपके को इसलिथे पवित्र और शुद्ध करते हैं कि बारियोंमें जाएं और किसी के पीछे खड़े होकर सूअर वा चूहे का मांस और और घृणित वस्तुएं खाते हैं, वे एक ही संग नाश हो जाएंगे, यहोवा की यही वाणी है।। 
18 क्योंकि मैं उनके काम और उनकी कल्पनाएं, दोनोंअच्छी रीति से जानता हूं। और वह समय आता है जब मैं सारी जातियोंऔर भिन्न भिन्न भाषा बोलनेवालोंको इकट्ठा करूंगा; और वे आकर मेरी महिमा देखेंगे। 
19 और मैं उन से एक चिन्ह प्रगट करूंगा; और उनके बचे हुओं को मैं उन अन्यजातियोंके पास भेजूंगा जिन्होंने न तो मेरा समाचार सुना है और न मेरी महिमा देखी है, अर्यात्‌ तर्शीशियोंऔर धनुर्धारी पूलियोंऔर लूदियोंके पास, और तबलियोंऔर यूनानियोंऔर दूर द्वीपवासियोंके पास भी भेज दूंगा और वे अन्यजातियोंमें मेरी महिमा का वर्णन करेंगे। 
20 और जैसे इस्राएली लोग अन्नबलि को शुद्ध पात्र में धरकर यहोवा के भवन में ले आते हैं, वैसे ही वे तुम्हारे सब भाइयोंको घोड़ों, रयों, पालयथें, खच्चरोंऔर साड़नियोंपर चढ़ा चढ़ाकर मेरे पवित्र पर्वत यरूशलेम पर यहोवा की भेंट के लिथे ले आएंगे, यहोवा का यही वचन है। 
21 और उन में से मैं कितने लोगोंको याजक और लेवीय पद के लिथे भी चुन लूंगा।। 
22 क्योंकि जिस प्रकार नया आकाश और नई पृय्वी, जो मैं बनाने पर हूं, मेरे सम्मुख बनी रहेगी, उसी प्रकार तुम्हारा वंश और तुम्हारा नाम भी बना रहेगा; यहोवा की यही वाणी है। 
23 फिर ऐसा होगा कि एक नथे चांद से दूसरे नथे चांद के दिन तक और एक विश्रम दिन से दूसरे विश्रम दिन तक समस्त प्राणी मेरे साम्हने दण्डवत्‌ करने को आया करेंगे; यहोवा का यही वचन है।। 
24 तब वे निकलकर उन लोगोंकी लोयोंपर जिन्होंने मुझ से बलवा किया दृष्टि डालेंगे; क्योंकि उन में पके हुए कीड़े कभी न मरेंगे, उनकी आस कभी न बुफेगी, और सारे मनुष्योंको उन से अत्यन्त घृणा होगी।।