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भजन संहिता - Chapter 116

1 मैं प्रेम रखता हूं, इसलिथे कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है। 
2 उस ने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिथे मैं जीवन भर उसको पुकारा करूंगा। 
3 मृत्यु की रस्सियां मेरे चारोंओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा। 
4 तब मैं ने यहोवा से प्रार्थना की, कि हे यहोवा बिनती सुनकर मेरे प्राण को बचा ले! 
5 यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी है; और हमारा परमेश्वर दया करनेवाला है। 
6 यहोवा भोलोंकी रक्षा करता है; जब मैं बलहीन हो गया था, उस ने मेरा उद्धार किया। 
7 हे मेरे प्राण तू अपके विश्रामस्थान में लौट आ; क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है।। 
8 तू ने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आंख को आंसू बहाने से, और मेरे पांव को ठोकर खाने से बचाया है। 
9 मैं जीवित रहते हुए, अपके को यहोवा के साम्हने जानकर नित चलता रहूंगा। 
10 मैं ने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कस कर कहा है, कि मैं तो बहुत की दु:खित हुआ; 
11 मैं ने उतावली से कहा, कि सब मनुष्य झूठें हैं।। 
12 यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, उनका बदला मैं उसको क्या दूं? 
13 मैं उद्धार का कटोरा उठाकर, यहोवा से प्रार्थना करूंगा, 
14 मैं यहोवा के लिथे अपक्की मन्नतें सभोंकी दृष्टि में प्रगट रूप में उसकी सारी प्रजा के साम्हने पूरी करूंगा। 
15 यहोवा के भक्तोंकी मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है। 
16 हे यहोवा, सुन, मैं तो तेरा दास हूं; मैं तेरा दास, और तेरी दासी का पुत्रा हूं। तू ने मेरे बन्धन खोल दिए हैं। 
17 मैं तुझ को धन्यवादबलि चढ़ाऊंगा, और यहोवा से प्रार्थना करूंगा। 
18 मैं यहोवा के लिथे अपक्की मन्नतें, प्रगट में उसकी सारी प्रजा के साम्हने 
19 यहोवा के भवन के आंगनोंमें, हे यरूशलेम, तेरे भीतर पूरी करूंगा। याह की स्तुति करो!