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भजन संहिता - Chapter 51

1 हे परमेश्वर, अपक्की करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपक्की बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधोंको मिटा दे। 
2 मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर! 
3 मैं तो अपके अपराधोंकोंजानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है। 
4 मैं ने केवल तेरे ही विरूद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे। 
5 देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपक्की माता के गर्भ में पड़ा।। 
6 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा। 
7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्रा हो जाऊंगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा। 
8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं। 
9 अपना मुख मेरे पापोंकी ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामोंको मिटा डाल।। 
10 हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नथे सिक्के से उत्पन्न कर। 
11 मुझे अपके साम्हने से निकाल न दे, और अपके पवित्रा आत्मा को मुझ से अलग न कर। 
12 अपके किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।। 
13 जब मैं अपराधियोंको तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे। 
14 हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरे धर्म का जयजयकार करने पाऊंगा।। 
15 हे प्रभु, मेरा मुंह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूंगा। 
16 क्योकि तू मेलबलि में प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता। 
17 टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।। 
18 प्रसन्न होकर सिरयोन की भलाई कर, यरूशलेम की शहरपनाह को तू बना, 
19 तब तू धर्म के बलिदानोंसे अर्थात् सर्वांग पशुओं के होमबलि से प्रसन्न होगा; तब लोग तेरी वेदी पर बैल चढ़ाएंगे।।