1 यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना;
2 प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना,
3 दस तारवाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है।
4 क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपके काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथोंके कामोंके कारण जयजयकार करूंगा।।
5 हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े है! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर है!
6 पशु समान मनुष्य इसको नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता:
7 कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते- फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिथे होता है, कि वे सर्वदा के लिथे नाश हो जाएं,
8 परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा।
9 क्योंकि थे यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे।।
10 परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं।
11 और मैं अपके द्रोहियोंपर दृष्टि करके, और उन कुकर्मियोंका हाल मेरे विरूद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं।।
12 धर्मी लोग खजूर की नाई फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाई बढ़ते रहेंगे।
13 वे यहोवा के भवन में रोपे जाकर, हमारे परमेश्वर के आंगनोंमें फूले फलेंगे।
14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,
15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।।