1 जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।
2 मैं यहोवा के विषय कहूंगा, कि वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।
3 वह तो मुझे बहेलिथे के जाल से, और महामारी से बचाएगा;
4 वह तुझे अपके पंखोंकी आड़ में ले लेगा, और तू उसके पैरोंके नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिथे ढाल और झिलम ठहरेगी।
5 तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,
6 न उस मरी से जो अन्धेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन दुपहरी में उजाड़ता है।।
7 तेरे निकट हजार, और तेरी दहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा।
8 परनतु तू अपक्की आंखोंकी दृष्टि करेगा और दुष्टोंके अन्त को देखेगा।।
9 हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है,
10 इसलिथे कोई विपत्ति तुझ पर न पकेगी, न कोई दु:ख तेरे डेरे के निकट आएगा।।
11 क्योंकि वह अपके दूतोंको तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।
12 वे तुझ को हाथोंहाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पांवोंमें पत्थर से ठेस लगे।
13 तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।
14 उस ने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिथे मैं उसको छुड़ाऊंगा; मैं उसको ऊंचे स्थान पर रखूंगा, क्योंकि उस ने मेरे नाम को जान लिया है।
15 जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूंगा; संकट में मैं उसके संग रहूंगा, मैं उसको बचाकर उसकी महिमा बढ़ाऊंगा।
16 मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूंगा, और अपके किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊंगा।।