Index

भजन संहिता - Chapter 57

1 हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक थे आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखोंके तले शरण लिए रहूंगा। 
2 मैं परम प्रधान परमेश्वर को पुकारूंगा, ईश्वर को जो मेरे लिथे सब कुछ सिद्ध करता है। 
3 ईश्वर स्वर्ग से भेजकर मुझे बचा लेगा, जब मेरा निगलनेवाला निन्दा कर रहा हो। परमेश्वर अपक्की करूणा और सच्चाई प्रगट करेगा।। 
4 मेरा प्राण सिंहोंके बीच में है, मुझे जलते हुओं के बीच में लेटना पड़ता है, अर्थात् ऐसे मनुष्योंके बीच में जिन के दांत बर्छी और तीर हैं, और जिनकी जीभ तेज तलवार है।। 
5 हे परमेश्वर तू स्वर्ग के ऊपर अति महान और तेजोमय है, तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए! 
6 उन्होंने मेरे पैरोंके लिथे जाल लगाया है; मेरा प्राण ढला जाता है। उन्होंने मेरे आगे गड़हा खोदा, परन्तु आप ही उस में गिर पके।। 
7 हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा। 
8 हे मेरी आत्मा जाग जा! हे सारंगी और वीणा जाग जाओ। मैं भी पौ फटते ही जाग उठूंगा। 
9 हे प्रभु, मैं देश के लोगोंके बीच तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं राज्य राज्य के लोगोंके बीच में तेरा भजन गाऊंगा। 
10 क्योंकि तेरी करूणा स्वर्ग तक बड़ी है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुंचक्की है।। 
11 हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर अति महान है! तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!