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भजन संहिता - Chapter 95

1 आओ हम यहोवा के लिथे ऊंचे स्वर से गाएं, अपके उद्धार की चट्टान का जयजयकार करें! 
2 हम धन्यवाद करते हुए उसके सम्मुख आएं, और भजन गाते हुए उसका जयजयकार करें! 
3 क्योंकि यहोवा महान ईश्वर है, और सब देवताओं के ऊपर महान राजा है। 
4 पृथ्वी के गहिरे स्थान उसी के हाथ में हैं; और पहाड़ोंकी चोटियां भी उसी की हैं। 
5 समुद्र उसका है, और उसी ने उसको बनाया, और स्थल भी उसी के हाथ का रख है।। 
6 आओ हम झुककर दण्डवत् करें, और अपके कर्ता यहोवा के साम्हने घुटने टेकें! 
7 क्योंकि वही हमारा परमेश्वर है, और हम उसकी चराई की प्रजा, और उसके हाथ की भेड़ें हैं।। भला होता, कि आज तुम उसकी बात सुनते! 
8 अपना अपना हृदय ऐसा कठोर मत करो, जैसा मरीबा में, वा मस्सा के दिन जंगल में हुआ था, 
9 जब तुम्हारे पुरखाओं ने मुझे परखा, उन्होंने मुझ को जांचा और मेरे काम को भी देखा। 
10 चालीस वर्ष तक मैं उस पीढ़ी के लोगोंसे रूठा रहा, और मैं ने कहा, थे तो भरमनेवाले मन के हैं, और इन्होंने मेरे मार्गोंको नहीं पहिचाना। 
11 इस कारण मैं ने क्रोध में आकर शपथ खाई कि थे मेरे विश्रामस्थान में कभी प्रवेश न करने पाएंगे।।