1 दुष्ट जन का अपराण मेरे हृदय के भीतर यह कहता है कि परमेश्वर का भय उसकी दृष्टि में नहीं है।
2 वह अपके अधर्म के प्रगट होने और घृणित ठहरने के विषय अपके मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है।
3 उसकी बातें अनर्थ और छल की हैं; उस ने बुद्धि और भलाई के काम करने से हाथ उठाया है।
4 वह अपके बिछौने पर पके पके अनर्थ की कल्पना करता है; वह अपके कुमार्ग पर दृढ़ता से बना रहता है; बुराई से वह हाथ नहीं उठाता।।
5 हे यहोवा तेरी करूणा स्वर्ग में है, तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुंची है।
6 तेरा धर्म ऊंचे पर्वतोंके समान है, तेरे नियम अथाह सागर ठहरे हैं; हे यहोवा तू मनुष्य और पशु दोनोंकी रक्षा करता है।।
7 हे परमेश्वर तेरी करूणा, कैसी अनमोल है! मनुष्य तेरे पंखो के तले शरण लेते हैं।
8 वे तेरे भवन के चिकने भोजन से तृप्त होंगे, और तू अपक्की सुख की नदी में से उन्हें पिलाएगा।
9 क्योंकि जीवन का सोता तेरे ही पास है; तेरे प्रकाश के द्वारा हम प्रकाश पाएंगे।।
10 अपके जाननेवालोंपर करूणा करता रह, और अपके धर्म के काम सीधे मनवालोंमें करता रह!
11 अहंकारी मुझ पर लात उठाने न पाए, और न दुष्ट अपके हाथ के बल से मुझे भगाने पाए।
12 वहां अनर्थकारी गिर पके हैं; वे ढकेल दिए गए, और फिर उठ न सकेंगे।।