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भजन संहिता - Chapter 4

1 हे मेरे धर्ममय परमेश्वर, जब मैं पुकारूं तब तू मुझे उत्तर दे; जब मैं सकेती में पड़ा तब तू ने मुझे विस्तार दिया। मुझ पर अनुग्रह कर और मेरी प्रार्थना सुन ले।। 
2 हे मनुष्योंके पुत्रों, कब तक मेरी महिमा के बदले अनादर होता रहेगा? तुम कब तक व्यर्थ बातोंसे प्रीति रखोगे और झूठी युक्ति की खोज में रहोगे? 
3 यह जान रखो कि यहोवा ने भक्त को अपके लिथे अलग कर रखा है; जब मैं यहोवा को पुकारूंगा तब वह सुन लेगा।। 
4 कांपके रहो और पाप मत करो; अपके अपके बिछौने पर मन ही मन सोचो और चुपचाप रहो। 
5 धर्म के बलिदान चढ़ाओ, और यहोवा पर भरोसा रखो।। 
6 बहुत से हैं जो कहते हैं, कि कौन हम को कुछ भलाई दिखाएगा? हे यहोवा तू अपके मुख का प्रकाश हम पर चमका! 
7 तू ने मेरे मन में उस से कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उनको अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होती थी। 
8 मैं शान्ति से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है।।