1 जाति जाति के लोग क्योंहुल्लड़ मचाते हैं, और देश देश के लोग व्यर्थ बातें क्योंसोच रहे हैं?
2 यहोवा के और उसके अभिषिक्त के विरूद्ध पृथ्वी के राजा मिलकर, और हाकिम आपस में सम्मति करके कहते हैं, कि
3 आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें, और उनकी रस्सिक्कों अपके ऊपर से उतार फेंके।।
4 वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हंसेगा, प्रभु उनको ठट्ठोंमें उड़ाएगा।
5 तब वह उन से क्रोध करके बातें करेगा, और क्रोध में कहकर उन्हें घबरा देगा, कि
6 मैं तो अपके ठहराए हुए राजा को अपके पवित्रा पर्वत सिरयोन की राजगद्दी पर बैठा चुका हूं।
7 मैं उस वचन का प्रचार करूंगा: जो यहोवा ने मुझ से कहा, तू मेरा पुत्रा है, आज तू मुझ से उत्पन्न हुआ।
8 मुझ से मांग, और मैं जाति जाति के लोगोंको तेरी सम्पत्ति होने के लिथे, और दूर दूर के देशोंको तेरी निज भूमि बनने के लिथे दे दूंगा।
9 तू उन्हें लोहे के डण्डे से टुकड़े टुकड़े करेगा। तू कुम्हार के बर्तन की नाईं उन्हें चकना चूर कर डालेगा।।
10 इसलिथे अब, हे राजाओं, बुद्धिमान बनो; हे पृथ्वी के न्यायियों, यह उपकेश ग्रहण करो।
11 डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और कांपके हुए मगन हो।
12 पुत्रा को चूमो ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ; क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है।। धन्य है वे जिनका भरोसा उस पर है।।