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भजन संहिता - Chapter 142

1 मैं यहोवा की दोहाई देता, मैं यहोवा से गिड़गिड़ाता हूं, 
2 मैं अपके शोक की बातें उस से खोलकर कहता, मैं अपना संकट उसके आगे प्रगट करता हूं। 
3 जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से व्याकुल हो रही थी, तब तू मेरी दशा को जानता था! जिस रास्ते से मैं जानेवाला था, उसी में उन्होंने मेरे लिथे फन्दा लगाया। 
4 मैं ने दहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे नहीं देखता है। मेरे लिथे शरण कहीं नहीं रही, न मुझ को कोई पूछता है।। 
5 हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; मैं ने कहा, तू मेरा शरणस्थान है, मेरे जीते ही तू मेरा भाग है। 
6 मेरी चिल्लाहट को ध्यान देकर सुन, क्योंकि मेरी बड़ी दुर्दशा हो गई है! जो मेरे पीछे पके हैं, उन से मुझे बचा ले; क्योंकि वे मुझ से अधिक सामर्थी हैं। 
7 मुझ को बन्दीगृह से निकाल कि मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूं! धर्मी लोग मेरे चारोंओर आएंगे; क्योंकि तू मेरा उपकार करेगा।।