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भजन संहिता - Chapter 53

1 मूढ़ ने अपके मन में कहा है, कि कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्होंने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं।। 
2 परमेश्वर ने स्वर्ग पर से मनुष्योंके ऊपर दृष्टि की ताकि देखे कि कोई बुद्धि से चलनेवाला वा परमेश्वर को पूछनेवाला है कि नहीं।। 
3 वे सब के सब हट गए; सब एक साथ बिगड़ गए; कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं।। क्या उन सब अनर्थकारियोंको कुछ भी ज्ञान नहीं 
4 जो मेरे लोगोंको ऐसे खाते हैं जैसे रोटी और परमेश्वर का नाम नहीं लेते? 
5 वहां उन पर भय छा गया जहां भय का कोई कारण न था। क्योंकि यहोवा न उनकी हडि्डयोंको, जो तेरे विरूद्ध छावनी डाले पके थे, तितर बितर कर दिया; तू ने तो उन्हें लज्जित कर दिया इसलिथे कि परमेश्वर ने उनको निकम्मा ठहराया है।। 
6 भला होता कि इस्राएल का पूरा उद्धार सिरयोन से निकलता! जब परमेश्वर अपक्की प्रजा को बन्धुवाई से लौटा ले आएगा तब याकूब मगन और इस्राएल आनन्दित होगा।।