Index

भजन संहिता - Chapter 88

1 हे मेरे उठ्ठारकर्त्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूं। 
2 मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा! 
3 क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है। 
4 मैं कबर में पड़नेवालोंमें गिना गया हूं; मैं बलहीन पुरूष के समान हो गया हूं। 
5 मैं मुर्दोंके बीच छोड़ा गया हूं, और जो घात होकर कबर में पके हैं, जिनको तू फिर स्मरण नहीं करता और वे तेरी सहाथता रहित हैं, उनके समान मैं हो गया हूं। 
6 तू ने मुझे गड़हे के तल ही में, अन्धेरे और गहिरे स्थान में रखा है। 
7 तेरी जलजलाहट मुझी पर बनी हुई है, और तू ने अपके सब तरंगोंसे मुझे दु:ख दिया है; 
8 तू ने मेरे पहिचानवालोंको मुझ से दूर किया है; और मुझ को उनकी दृष्टि में घिनौना किया है। मैं बन्दी हूं और निकल नही सकता; 
9 दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई। हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपके हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं। 
10 क्या तू मुर्दोंके लिथे अदभुत् काम करेगा? क्या मरे लोग उठकर तेरा धन्यवाद करेंगे? 
11 क्या कबर में तेरी करूणा का, और विनाश की दशा में तेरी सच्चाई का वर्णन किया जाएगा? 
12 क्या तेरे अदभुत् काम अन्धकार में, वा तेरा धर्म विश्वासघात की दशा में जाना जाएगा? 
13 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; और भोर को मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचेगी। 
14 हे यहोवा, तू मुझ को क्योंछोड़ता है? तू अपना मुख मुझ से क्योंछिपाता रहता है? 
15 मैं बचपन ही से दु:खी वरन अधमुआ हूं, तुझ से भय खाते मैं अति व्याकुल हो गया हूं। 
16 तेरा क्रोध मुझ पर पड़ा है; उस भय से मैं मिट गया हूं। 
17 वह दिन भर जल की नाई मुझे घेरे रहता है; वह मेरे चारोंओर दिखाई देता है। 
18 तू ने मित्रा और भाईबन्धु दोनोंको मुझ से दूर किया है; और मेरे जान- पहिचानवालोंको अन्धकार में डाल दिया है।।