1 हे यहोवा मैं अपके मन को तेरी ओर उठाता हूं।
2 हे मेरे परमेश्वर, मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है, मुझे लज्जित होने न दे; मेरे शत्रु मुझ पर जयजयकार करने न पाएं।
3 वरन जितने तेरी बाट जोहते हैं उन में से कोई लज्जित न होगा; परन्तु जो अकारण विश्वासघाती हैं वे ही लज्जित होंगे।।
4 हे यहोवा अपके मार्ग मुझ को दिखला; अपना पथ मुझे बता दे।
5 मुझे अपके सत्य पर चला और शिक्षा दे, क्योंकि तू मेरा उद्वार करनेवाला परमेश्वर है; मैं दिन भर तेरी ही बाट जाहता रहता हूं।
6 हे यहोवा अपक्की दया और करूणा के कामोंको स्मरण कर; क्योंकि वे तो अनन्तकाल से होते आए हैं।
7 हे यहोवा अपक्की भलाई के कारण मेरी जवानी के पापोंऔर मेरे अपराधोंको स्मरण न कर; अपक्की करूणा ही के अनुसार तू मुझे स्मरण कर।।
8 यहोवा भला और सीधा है; इसलिथे वह पापियोंको अपना मार्ग दिखलाएगा।
9 वह नम्र लोगोंको न्याय की शिक्षा देता, हां वह नम्र लोगोंको अपना मार्ग दिखलाएगा।
10 जो यहोवा की वाचा और चितौनियोंको मानते हैं, उनके लिथे उसके सब मार्ग करूणा और सच्चाई हैं।।
11 हे यहोवा अपके नाम के निमित्त मेरे अधर्म को जो बहुत हैं क्षमा कर।।
12 वह कौन है जो यहोवा का भय मानता है? यहोवा उसको उसी मार्ग पर जिस से वह प्रसन्न होता है चलाएगा।
13 वह कुशल से टिका रहेगा, और उसका वंश पृथ्वी पर अधिक्कारनेी होगा।
14 यहोवा के भेद को वही जानते हैं जो उस से डरते हैं, और वह अपक्की वाचा उन पर प्रगट करेगा।
15 मेरी आंखे सदैव यहोवा पर टकटकी लगाए रहती हैं, क्योंकि वही मेरे पांवोंको जाल में से छुड़ाएगा।।
16 हे यहोवा मेरी ओर फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर; क्योंकि मैं अकेला और दीन हूं।
17 मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है, तू मुझ को मेरे दु:खोंसे छुड़ा ले।
18 तू मेरे दु:ख और कष्ट पर दृष्टि कर, और मेरे सब पापोंको क्षमा कर।।
19 मेरे शत्रुओं को देख कि वे कैसे बढ़ गए हैं, और मुझ से बड़ा बैर रखते हैं।
20 मेरे प्राण की रक्षा कर, और मुझे छुड़ा; मुझे लज्जित न होने दे, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं।
21 खराई और सीधाई मुझे सुरक्षित रखें, क्योंकि मुझे तेरे ही आशा है।।
22 हे परमेश्वर इस्राएल को उसके सारे संकटोंसे छुड़ा ले।।