1 हे परमेश्वर अन्यजातियां तेरे निज भग में घुस आई; उन्होंने तेेरे पवित्रा मन्दिर को अशुठ्ठ किया; और यरूशलेम को खंडहर कर दिया है।
2 उन्होंने तेरे दासोंकी लोथोंको आकाश के पक्षियोंका आहार कर दिया, और तेरे भक्तोंका मांस वनपशुओें को खिला दिया है।
3 उन्होंने उनका लोहू यरूशलेम के चारोंओर जल की नाई बहाथा, और उनको मिट्टी देनेवाला कोई न था।
4 पड़ोसियोंके बीच हमारी नामधराई हुई; चारोंओर के रहनेवाले हम पर हंसते, और ठट्ठा करते हैं।।
5 हे यहोवा, तू कब तक लगातार क्रोध करता रहेगा? तुझ में आग की सी जलन कब तक भड़कती रहेगी?
6 जो जातियां तुझ को नहीं जानती, और जिन राज्योंके लोग तुझ से प्रार्थना नहीं करते, उन्ही पर अपक्की सब जलजलाहट भड़का!
7 क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया, और उसके वासस्थान को उजाड़ दिया है।
8 हमारी हानि के लिथे हमारे पुरखाओं के अधर्म के कामोंको स्मरण न कर; तेरी दया हम पर शीघ्र हो, क्योंकि हम बड़ी दुर्दशा में पके हैं।
9 हे हमारे उठ्ठारकर्त्ता परमेश्वर, अपके नाम की महिमा के निमित हमारी सहाथता कर; और अपके नाम के निमित हम को छुड़ाकर हमारे पापोंको ढांप दे।
10 अनयजातियां क्योंकहने पाएं कि उनका परमेश्वर कहां रहा? अन्यजातियोंके बीच तेरे दासोंके खून का पलटा लेना हमारे देखते उन्हें मालूम हो जाए।।
11 बन्धुओं का कराहना तेरे कान तक पहुंचे; घात होनेवालोंको अपके भुजबल के द्वारा बचा।
12 और हे प्रभु, हमारे पड़ोसियोंने जो तेरी निन्दा की है, उसका सातगुणा बदला उनको दे!
13 तब हम जो तेरी प्रजा और तेरी चराई की भेड़ें हैं, तेरा धन्यवाद सदा करते रहेंगे; और पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरा गुणानुवाद करते रहेंगें।।