1 हे यहोवा, मैं तुझी को पुकारूंगा; हे मेरी चट्टान, मेरी सुनी अनसुनी न कर, ऐसा न हो कि तेरे चुप रहने से मैं कब्र में पके हुओं के समान हो जाऊं जो पाताल में चले जाते हैं।
2 जब मैं तेरी दोहाई दूं, और तेरे पवित्रास्थान की भीतरी कोठरी की ओर अपके हाथ उठाऊं, तब मेरी गिड़गिड़ाहट की बात सुन ले।
3 उन दुष्टोंऔर अनर्थकारियोंके संग मुझे न घसीट; जो अपके पड़ोसिक्कों बातें तो मेल की बोलते हैं परन्तु हृदय में बुराई रखते हैं।
4 उनके कामोंके और उनकी करनी की बुराई के अनुसार उन से बर्ताव कर, उनके हाथोंके काम के अनुसार उन्हें बदला दे; उनके कामोंका पलटा उन्हें दे।
5 वे यहोवा के कामोंपर और उसके हाथोंके कामोंपर ध्यान नहीं करते, इसलिथे वह उन्हें पछाड़ेगा और फिर न उठाएगा।।
6 यहोवा धन्य है; क्योंकि उस ने मेरी गिड़गिड़ाहट को सुना है।
7 यहोवा मेरा बल और मेरी ढ़ाल है; उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहाथता मिली है; इसलिथे मेरा हृदय प्रफुल्लित है; और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूंगा।
8 यहोवा उनका बल है, वह अपके अभिषिक्त के लिथे उद्धार का दृढ़ गढ़ है।
9 हे यहोवा अपक्की प्रजा का उद्धार कर, और अपके निज भाग के लोगोंको आशीष दे; और उनकी चरवाही कर और सदैव उन्हें सम्भाले रह।।